SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२ पउमचरित गरुम-पोष्ठराएँ अञ्चन्त-रोहिणीए । रणे पहसन्तु को पि सिक्सविउ गेहिप्पीय ॥१।। ( ईसादुवई ) 'याह णाह समरकण-काले । दूर-भेरि-दखि-सङ्क-चमाले १२।। उत्थरन्त-वर-वीर-समुरे । सोह-णाय-पर-पाय-उद्दे ।।३।। मत-इस्मि-गलगज्जिय-सरे। अमिमधिज्ज पर राहयचन्द' ॥१ का वि णारि परिहासइ एमं । 'नेम जुनु गउ लन्ममि जेम' ।।५।। का वि णारि पनिचोहई णाहं । 'भग्गमाण पइँ जीवमि णाई' ॥६॥ का वि णारि पडिचुम्यणु देह । को वि वीरु अवहरि करेइ ।।७।। कन्स कन्से मई मण्ड लएवी । भज्ज वि कत्ति-बहुअ चुम्नेवी' ||८k का वि णाहूँ वकार करेइ । को वि श्रीरु रण-दिवा लपड ।।९।। (परिवन्दियं जाम लन्दो) साम्व मयर विप्फुरियाणणु पवर-विमा लिपुल-पहरणु । णिगउ कुम्मयण्णु भणे कुझ्यउ गहयले धूमकरण उझ्यत ॥१०॥ णिगएँ कुम्मयों मारीइ-मल्लयामा ! जम्वन-जम्युमालि-वीमच्छ-वासना ।।।। (लामुबई ) धरणिवर-कुवर-बज्जधरा । बल-त्रुद्ध-विन्द-पथकाल-करा ॥२॥ अय-दुज्जय-दुन्दर-दुदस्सिा । दुहउम्मुह-दुम्मुख-दुम्मरिसा ॥३॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy