SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १० पउम चरित [२] मुच्छ णिएप्पिणु रहुबइ धरिणिहँ । करि ओसरिज व पासहाँ करिणि ॥३॥ "चिद्धिगाथु परयार मसारउ । दुग्गइ -गमणु सुगइ -विणिधारउ ॥२॥ म. पावेण काइँ किउ प्रहर। में विच्छोइड मिहुशु स-गेहउ ।।३।। को दि मई सरिसर विरुवारड । दूहर दुम्मुख दुहिय-गारउ ॥४॥ दुजणु दुटु दुरासु दुळवणु। कु-पुरिसु मन्द-भग्गुअ-षियक्वगु॥५॥ दुषणयवन्तु विणय-परिवजिउ । दुचारितु कु-सील अ-शभिउ |६|| णिज-सन्तायत सतिसगान भर इन-मावउ ॥॥ वरि पसु वरि विहङ्ग किमि कीवर | उ अम्हारिसु जग-परिपीटउ 1॥८॥ पत्ता वरि तिणु वरि पाहाणु वरि लोह-पिण्ड वरि सुक्-तरु। उ णिग्गुणु वय-हीणु माणुसु उप्पणु महीह मरु || [१३] अहाँ अहाँ दारा परिमन-गारा। कयलि व सम्पलि णीसारा ।।१॥ चालणि ब्व केवल-मस-गाहिणि । सरि व कुरिल हेटामुह-वाहिणि ॥२॥ पाउस कुहिणि च दूसञ्चारिणि । कुमुइणि व गहवइ -उबगारिणि॥३॥ कमलिणि ब्च पण ण मुश्चई। मणु दारं दार से वुत्ह ॥४॥ वणिय घणेइ सरीरु समत्ता । गणिय गणेइ असेसु वित्तउ ||५||
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy