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पउमचरिउ
[ ७३. तिसतरिम संधि ]
तिहुवण-दामर बीह मङ्गल-तूर-रवेण
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पइमिव मिच अवयजिय । यि पिय-लियों तुरिय विसजिय ॥ 5 ॥
कषय- सेवहिं सहित दहम्मुडु | ओसारियाँ असेसाहरणइँ ।
गढ़ मजरा सरह सम् ॥२ दुरि दियरेण णं किरणएँ ॥ ३७
लय पोसिरिसण दया हव । गुल्झावरणसी माया इव ॥ ४ ॥
पल्लव-गहिय महा वणरा व ॥ ५ ॥ विविधामणेर्हि अकमक्रिज ॥६॥
-संवाद संचाहि ॥ ७ ॥ सम्बजित पासेउ बलग्ग ॥८॥
सण्ड सुत्त वाचरण कड़ा इव । वर वारङ्गणेहिं सम्वति ।
राउ आयाम भूमि रहसा हिउ ।
ताव विमटि जान पहचाउ ।
मयरद्वय सर-सहि णयणु । ममाणड पसइ दहवयणु ॥
छुद्ध उग्गहूँ सरी णं तुट्टेण समेण
पुणु धारकति उच्चट्टिउ ।
राज चामियर दोणि परमेसर ।
घन्ता
पासेस-पुडिङ्गहूँ निम्मछहूँ । कवि दिष्णइँ मुसाहहूँ ॥ ९॥
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पणं करि करिणि करेहिं विष्टि ॥ ३
णं कणियारि-कुसुम-थति महुअर ॥ २