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________________ ૨૬ का विनियम्विणि केस - विसम्धुल उठिमय करयल दद्दयहाँ अग्गएँ 'आहाँ दुम-दाणव- दुष्प-लण | जम-महिंस-सिङ्ग - णिवली - हिट्ट । पउमचरिउ [१०] परमेसर कि ओहह-धामु । किं अपने साहि चन्द्रहासु । किं अणें वसिति उब-सोण्ड । किं अणें मग्गु कियन्त-राउ | किं अण्णें गिरि कइलासु वेव । किं अण्णें विजिउ सहस किरणु किं वहाँ जि भुव इतुहुँ दहषमणु सो वि झाणों अलु णिरिव जोग व सिद्धिहें सिंह लग्गय-मशु सिविल - णिण | परालय - कोयण || १ ॥ सुह-विच्छाय | रुमइ वराइय ||२॥ सुर-मउष्ठ- सिहामणि- किहिय-चलण | ३| सुरकरि-विसाण सूरण पहट्ट ||४|| 操 राम कहीं षिणामु ॥ ५॥ किं योंकि त्रिणासु ॥ ६ ॥ वण-इन्थि जिगस पप ||७|| किं अण्णह बसें सुग्गोड जाउ |||| हेलए जें तुलिउ हिन्दुवड जे ||९|| फेडिल मलकुन्चर-स-फुरणु ॥१०॥ घसा वरुण राहिब-धरण-लभस्था । तो किं रह रह अवस्थ' ।।११।। [१] टालिज राणड | मेरु-समाज || १|| राव भों। भिंड पठु विजजहाँ ॥ २॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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