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पउमचरित
[1] एस्थन्तर छण-मियक-मुदिय । तिहुअणआणन्द-राष-दुहिय ।।५।। पण्णबहुम-विजएँ वित्त सहि। सुण्णासणु मीसणु पाणु जहि ।।२।। अहिं दारिय-करि-कुम्म-स्थकहै । उच्छलिय-धवल-मुसाहरू ॥३॥ . दुप्पैक्स-तिक्ख-णक्वकिय हैं। दोसन्ति सीह-परिसब्जिय ॥४॥ जहिं दन्ति-दन्त-मुसलाहयई। दीसन्ति भग्ग पायव-सय ॥५॥ जाहि विसम-तबर महियलें गयइँ । वणमहिस-सिंह-शुधलुक्खय ||३|| सुन्वन्ति जेन्थु कइ-बुद्धिगई। एकाठ-कोल-आरकिाय ॥७॥ वणवसह-जूह-मुह-दक्कियई। वायस-रद्धियाँ सिव-फेशिया
धत्ता तहि तेहएँ वर्षे कामसर जल-वाहिणि विउल विहावइ । धक्क-घलय-विक्रमम-गुणहि सरि पोर-विलासिणी णावह ।।९।।
[१२] तहिं जलवाहिणी-स वइसरवि । धाहाविउ कुलहरु सम्भवि ॥१।। "हा ताय ताय मइँ सन्यबाहि। हा माएँ माएँ सिर करु यहि ॥२॥ हा माइ माइ मम्मीस करें। गप वाघ सिक दुकान्त भरें ॥३॥ हा विहि हा का किंयन्त किंठ। पर वसणु काई महु दक्वविड ॥३॥ हा का कियाँ मा जिपई। अंणिहि वापि अयण हिपई ॥५॥ एहि माइड एप्साह मरणु। तो परि मुइय जिणवर सरण ।।६|| में मव-संसारहों उत्तरमि । अजरामर-पुरवर पाइसरमि" 1100 सा एम मणेवि सग्णामें थिय। हस्थ-सयहाँ उपरि णिवित्ति किय ।।८।।
घसा
परिसहुँ सहि सहास थिय पत्र-सयलम्छण-छेह जिह
तव-चरणे परिष्ट्रिय जाये हि । सउदासें दीलाइ सायहि ॥१॥