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पउमचरिड
मुक धाह णक-णील-णरिन्दै हि। मुख धाइ माहिन्द-महिन्दै हि। पिलुमा-महसायर-मइकन्त हिं।
जम्बव-रम्म-कुमुय-कुग्दन् हि ।।६।। दहिमुह-दहरह-सेब-समु हि ॥७॥ मुक्क धाह स हि सामन्ते हि ।।८।। घत्ता सन्दीबिउ सम्हाव-इति । जेण ण मुछी धाह मचि ॥९॥
रण रामें कलुणु रुअन्तऍण सो पथि कश्य-साहणे
[ ६ ] सायनाम्ब होश । सुरविर प्रेह 111 दाणे महाइयणे हि परिछेइ। केण वि कहिउ ताम्ब बइडेहि ।।२।। उर-णियम्ब-गरूअहें किस-देहि । रामयन्द-मुह-दसण-पेहि ॥३॥ 'सो सीएँ लइ अरछइ काई। सी सी लइ भाहरणाई ।।४।। सीए सीएँ अञ्जहिं णयणाई। सीएँ सीएँ चड़ पिय-वयणाई ॥५॥ सी सीएँ करें वाघाणउ । बलु लोहाविड सुग्गीवाणउ ।।६॥ कह दप्पणु जोवहि अप्पाणउ। मुट्ठ परिचुम्वहि दहचयपराण100
थत्ता
रावण-सत्ति विणिमिण्याउ दुका जिभइ कुमार रण । परिहव-अहिमाण चिहणउ ला राम वि मुअर में गणे' ॥८॥
[.] सं णिसुणे वि वहदेहि पमुच्छिय। हरियन्दणण सिस उम्मुन्दिछय ॥१॥ घेषण कहें वि सबम्ति समुट्टिय। 'हा खल खुद मिसुण विहि दुस्थिय।।२।। लक्षाणु मरद वसाणणु छुट्टा। हियउ केम सड उसु प फुइ ॥३॥ चिम-सीस हा दहन दुहावह। रूषण तुज्म किर पुण्ण मणोरह ।।३।। हा कयन्त सह कषण सुइच्छी। जं रडत्तणु पाषिय कच्छी ।।५।।