SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [६६. छासहिमो संधि ] सुजप-मण ___अरुणुग्गर्भ किय-काल मलहै । अमिहा पुणु वि राम-रावण-अलाइ । [] गयधर-तुस्य-जोह-रह-सीह-विमाण-पाहणाई । रण-तूर. हयाई किउ कलयलु भिडियई साहणाई ।। ।। जाउ महाहवु वेहाविद्धहुँ। बलहुँ मिसायर-वाणर-चिन्धहुँ ।।२।। रश-विणियारपा-पाहरण:-हत्थई। अमर-वरण-गण-समस्थ ।।२।। परिमोलाविय- सुरवर बभि ज्यसिरि मन्थहुँ । || गलगजन्त-मस-मायाहुँ । पषण-गमण-पक्रयरिम-तुरमहुँ ||५|| दप्पुमडहुँ समुण्णय-माणहुँ । घण्टा-घण-रकार-विमागहुँ ॥६॥ सगुइ-सपाह? सन्दण-वीढहुँ । पुरवबहर-मच्छर-परिगीढहुँ ।।७।। उद्धव-धवल-छत्त-धय-दण्डहुँ । पचर-करप्कालिय-कावाहुँ ।।८।। मेलिय-एकमेक-सर-जालहुँ। तिम्चुग्गाम्यि-कर-करवासहुँ ।९।। घन्ता मि पठमय णं उस्थियउ रउ चलणाहउ लय छलु । सुअण-मुहइँ मइलस्तु खल्ल ।।१०।। खुर-स्सर-छम्जमाणु णं जासह मध्यएँ इयवराहुं । णं आहउ पियारी गं हकारउ सुरवराहुं ॥११॥
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy