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पडमधरित
दुप्पंरतु मयारू दुप्पगड़। सबै हासमि जोइस-याकुहरें ।।३।। करिकुम्भ-कुम्भु कोड-धणु। दुम्बार बार-बारबहगु ॥३॥ श्वर-गावसु गहन्द-गह। भड-रुण्ड-खण्ड-रानी-णिवहु ।।५।। अभिट्ट-जोह-सामन्त-दिणु । विशिविट-
मामि साक्षण-उत्तर-दाहिण-अयणु। अण्ण महारह-समागु ।।३।। दहमुह-शिवप्प-आरुट्ठ-माणु ।। हरि-हलहर-मन्द-सूर-गर ||2||
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रह गय घट्टस्तु सम्वहाँ पल करन्तु
घन्ता हा पुणु कहि मिसण्ठमि । धूमके उ हि उट्टाम' ॥९॥
[१३] मद-वोकाड णिसुर्णे वि दहवयणु । हरिसिय-भुउ पप्फुल्लिय-णयशु ||१॥ अप्पड सिङ्गार विणीसरिख । लहु णिय-अन्सेडर पइसरिज ।।२।। णेडर-प्रकार-मोर-साए। कमी-कफाय-लोलिरऐं ॥३॥ मणि-कस्य-सउर-घूमहरणें। सिय हार-फार-माहवाहणे ।। कुण्डल-केवर-विहूसिपएँ। पिम्मम-विलास-अहि विलसियएँ ।॥५॥ ससि-मुहें मिग-णयण हंस-गमएँ। मसलु पट्टउ मिसिणि-बणे ॥३।। चुम्वन्तु पराणण-सयदल हैं। कपूर-दूरगय-परिमलाई ।।७।। उलोचग-कैसर-णियर-बसु । गेगहन्तउ श्य-मयरन्द-स्सु ॥५॥ पहु एमन्सेउर परिममिस । सुषिहाशु माणु ता उग्ग:मउ ॥९॥
हस्थ-पहस्थहुँ जुन गाई पडीवड काले
पत्ता मड-मापहि ण घाइट। भीयण-एँ आइड ॥१०॥