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________________ ८० एम मणेधि पयट्टु महाइल | मसाइ जेम गरुनज्जैषि । पउमचरिउ गड सीहोर- मवणु पराइ ॥ ८ ॥ संपविहार कर वज्र्जेषि ॥१९॥ धत्ता तिण-समु मरणेवि अत्थाणु सबलु भवगणे वि । पड्डु भयाण गय-मूहें जेम पाणणु ॥१०॥ [9] अमरिस कुद्रण बहु-मरिच-मच्छरणं । सीहोरु पलोह जिह णिच्छरणं ॥ १ ॥ कोचरणक-सम-जाल - असें । । लक्षणु क्व संमुहु । चिन्ति 'को वि महा-बलु दीसह जि णिमिस लवि कुमारें । एम विसखि भरह-मरिन्दे । को सुर-करि-विसाण उभ्पाबद्द कोमवाडु करगें क सन्धि करहों परिमुअों मेइणि । पुणु पु जोइड गाइँ कयन्ते ||२|| तल तड सिमित थाइ देद्वा-मुहु ॥ २ ॥ णब पणिवा कर णउ वसङ्घ ॥४॥ राउ 'किं बहु-विधायें ||५|| करइ केलि को समय मद्ददे ||६|| मन्दरसेल- सिनको पावइ ॥७॥ वजयष्णु को मारे बि स हियय- सुहरि जिह घर-कामिणि ॥ ॥९॥ ||८|| घत्ता अहवइ णरवइ जड रज्जों अधु ण इष्टहि । तो समरणें सर धोरण एन्ति पठिष्द्धहि ॥ १०॥ [ १७ ] खण वयण- सिओ अहर- विष्फुरन्तो । 'मह मरु मारि मारि हथु हृणु भणन्तो ॥ १ ॥ उट्टिउ पहु करवाल - विहस्थव । दूषहाँ दूवत्तणु दरिसावाँ : 'अ ताम भरहु वोसाथउ ||२|| छिन्दों णासु ससु मुण्डावहीँ || ३ || सुहाँ हत्थ विच्छावि भावहों । गहुँ चडियउ णयरें भ्रमाडहों' ॥ ॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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