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पउमचारत
[३] पुरिछा बजावणण सेधि विज्जलको।
"मो भो कहि पयर्ट्स बहु चहल-पुलप्रयङ्गो" ॥१॥ तं णिसुणेपिणु वमण-विसालें। बुबह वजयपणु कुसुमाके ॥२॥ "कामह-णामेण विलासिणि। तु-पभोहर जण-मण-माविणि ॥३॥ तहें भासप्तउ अस्प-विवाउ। कारणे मणि-कुण्डलहँ विसज्जित ॥ पुशु विमाहर-करणु कोप्पिणु। उ सत्त वि पाचार कमेपिणु ॥५॥ किर वर-मवणु पईसमि जाहिँ। पइज करन्तु राउ सुड ता हिं॥4॥ ह क्यणेण तेण बादण्णउ । वह वजयपणु उठण्यन ॥७॥ साहम्मिउ जिण-सासण-दीव उ । पम मणेप्पिणु वलिउ पडीषउ ॥८॥ पुणु वि विथद-पय-छोहे हिँ धाइड । णिविसे सम्हहुँ पासु पराइड ॥९॥
पत्ता किं भोलग्गएँ जाणन्तु वि राप म मुमहि । पाण लएप्पिशु म णासहि रणे जुजहि ॥३०॥
[१] भहवह काई बहु जम्पिएण रामा।
पर-वलें पेस्तु पेक्स उद्यन्ति धूलि-छाया ॥१॥ पेम्खु पेल्नु आवम्तड साहणु। गलगजन्तु महागव-पाहशु ॥२॥ पेक्यु पेक्षु हिंसन्ति सुरझम । जहयले चिउले भमन्ति विहङ्गम ॥३॥ पेक्खु पेक्स चिन्धई धुञ्चन्त। रह-धकई महियले खुप्पम्ताई ॥४॥ पेक्नु पेक्नु वजन्तइँ तूर। णाविह-णिणाय-गम्भीरइ ॥५॥ पेक्खु पेक्सु सय सङ्ग रसन्ता। पाइसक्नुउ सयण हाम्हा ॥६॥ पेक्नु पेक्नु पचलन्तउ गरवह। गह-णवत्त-माझे सणि णाव"॥७॥ दसतर-णाहु णिहाल जा हिँ। पर-बल्ल सयलु बिहावह तावे हि ॥४॥ "साहु साहु" तो पम मणेपिणु । विजुलझु गिड आलिशोपिणु ॥२॥
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