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________________ ५६ पउमचरिउ धत्ता धीरिय मरह गरिन्दे होउ मा रखें । मडु आगमि लक्षण - राम सेव हि काइ अकज्जै ॥ ९ ॥ [.] एम भणेषि मरहु संचाले । जय-पह पवजिङ । तुरिं गवेसह स्थलि ॥१॥ चन्दुगमें उहि पराजित || २ || जीव हो कम्सु जेम अलग्गड ||३|| सोय स-लक्षणु राहउ जेत हें ||४|| दिष्णु स पहु-मगेण पराहिङ लग्गड । चट्टएँ दिवसें पराइ तेहें । छु छुनु सलिलु पिएषि गिरि चलणेंहिँ पडिङ मरहु तग्गय मणु 'थक देव मं जाहि पवासही । ह सतुहणु । । सरवर तीर लयाहरें दिन हूँ ॥५॥ गाईं जिणिन्दह दससयलीय ॥ ६ ॥ होहि तरण्ड दुसरह - सह ||७|| लक्खणु मन्ति सीय महए कि ॥८॥ भितउ वे बि । घत्ता जिह क्खतेंहिँ चम् इन्दु जेम सुर-लोएं | विह तुहुँ भुजहि रज्जु परिमिड बन्धव- लोएं || १॥ संवय सुर्णे वि दसरह सुएण | सउ माया-पिथ-परम-दासु । अवरोप्यरु ए भालाब जाम । लक्खिज्जइ मरड़ों तणिय माय । लिलय विहूसिय बच्छराइ । गं भरहों सम्पय- रिद्धि-विद्धि । मरहों सुन्दर सोक्ख-खाणि । [ ] अवगृ मरहु इरिखिय- भुएण ||१|| पर मे वि अण्णहाँ चिणड कासु ॥२॥ त्रिइ सय परिथरिय ताम ॥ ॥ ३ ॥ र्ण मय वह मंड भजन्ति आय || ४ || स- पहर अम्बर-सोह पाएँ ||५|| रामों गमों वणिय सिद्धि ॥६॥ णं रामहीँ इट्ठ-कल-दाणि ॥७॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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