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________________ १६ एम भणेपिणु चलिउ तुरतउ । धवल सण- गीलुप्पल - साहिं । सोहण देवि मावइ । णं किय-सहत्थु वाहावर । भर रिन्दों णं आणावइ । पुणु पाआर-भुयउ पसरेविणु । पउमचरिव तो परे यणाणन्दें । विणु हालिर | 'तत' चाव-सिलीमुह-हत्य वेषि समुण्णयमाणा । नहीं मन्दिरों रूप तहाँ नाइ विणिसाय पाणा ॥ १२ ॥ बि मन्दिरहों विणिमाच जाणइ । छन्दों णिग्गय गायन्ती । पाइँ कित्ति सम्पुरिस - विमुखी 1 सुल लिय- चलण-जुयल - महन्ती । www सलु वि परियणु आउच्छन्त ॥ ६ ॥ घरु सुचन्तर लषण - रामहि ॥७॥ हु चिन्दाइ णावई ॥८॥ दो कहाणि णं दाव ॥९॥ 'हरि-वल जन्त शिवारहि णरषद् ॥ १० ॥ पाइँ णिवार आलिङ्गेणु ॥ ११ ॥ [] उर-हार-डोर गुप्यन्ती । हेट्ठा-मुह कम-कमलु गियच्छेवि ! राय बारु चलु बोलिए जायेंहिँ । उडिव धगधगन्तु जस- उ । णाइँ भइन्दु महा-घण-गज्जिएँ। संचलन्तें राहवचन्दे ॥ १ ॥ णं चित्तेण चित संचाकिंत ॥२॥ णं हिमवन्तों गङ्ग महा-प ॥३॥ र्ण सोंणीसरिय विहत्ती ॥ ४ ॥ नाइँ रम्भ जिय-थाहो चुकी ॥ ५ ॥ गय घड भड थद विन्ती || ६ || बहु-सम्बोल - पढें खुप्पन्ती ॥७॥ अवराय - सुमित्ति आउच्छे चि ॥ ४ ॥ घत्ता विग्गय सीमाएबिसिय हरन्ति णित-भवणहीँ । रामही खुप्पत्ति असणि णाइँ दहवयणहाँ ॥९॥ [+] लख मणे आरोसि ताहिं ॥ १ ॥ णाएँ विष्ण सित्तु भूम ||२|| सिंह सोमिति कुविङ गर्ने सज्जिएँ ॥ ५ ॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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