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पउभचरिंट
असाहणं । कसाय-सोय-साहां ॥२॥ अवाहणं । पमाय-माय-बाहणं ॥३॥ अवन्दणं। तिलोय-लोय-वन्वर्ण ॥४॥ अपुजा । सुरिन्दराय-पुजणं ॥५॥ मसासणं । तिलोय-केय-सासणं ॥६॥ अवारण । अपेय-मेष-वारण ॥७॥ अणिन्दियं। जय-प्पहुँअणिन्दियं ॥॥ महत्तम् । पचण्ड-चम्महन्तयं ॥५॥ रवणयं । घणालि-वार-वगणयं ||१०||
घत्ता मणि-सुन्षय-सामिउ सुह-गइ-गामिड तं पणवेप्पिणु दिढ-मणण । पुणु कहमि महव्वल खर-दूसण-बल जिह आयामिउ लक्खगण ॥१५॥
हिय एत्तहें विसीय एत्त वि विओड महन्तु राहये ।
हरि एत्त वि भिडिउ एन वि विराहिउ मिलिउ आहवी ॥१॥ ताव तेरधु भीसावणे वणे। एकमेक-हकारणे रणे ॥२॥ कुरुख-दिहि-वणुकभरे भड़े। विरहए महा-विस्थ घडे ॥३॥ वावरन्त-भय-भासुरे सुरे। सुरे मजार-पहराउरे उरे ॥५॥ असि-सबाहु-पडियाफरे फरे। जम्पमाण-कनुअखरे खरे ॥५॥ दलिय-कुम्म-विलाए गए। सिरु धुणाविए आहप हप ॥६॥ रुहिर-बिन्दु-चश्चिक्किए किए। सायरे ब्घ सुर-मन्धिप थिए ॥७॥ कत्त-दण्ड सप-खण्ड-खण्डिए। हा-रुक-विच्छ-मण्डिए ॥६॥ तहिं महाहवे धोर-दारणे । दिर बीरु पहरन्तु साहणे ॥९॥