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पउमरिड :
केकेसीका सभामण्डपमें जाना राम द्वारा सेनाकी वापसी ४७ और वर मांगना
२७ दक्षिणकी ओर प्रस्थान ४७ दशरथ द्वारा रामको वनदास २७ । सैनिकों का वियोग-दुख ४७ भरत द्वारा विरोध
चौबीसवीं सन्धि दशरष द्वारा समाधान २९
अयोध्यावासियोंका विलाप ४९ तेईसौं सन्धि
राजा दशरथकी संन्यास लेने की कवि द्वारा फिरसे स्तुति ३१ घोषणा भरतको तिलक कर रामकी
भरतकी हठ वनगमन की तैयारी ३३ दशरथ द्वारा दीक्षा लेना ५५ दशरथकी सत्यनिधा ३३ उनके साथ और भी राजा । रामका अपनी मांसे विदा
दीक्षित र उनका वर्णन मांगना
३५ भरतका विलाप और रामको कौशल्याको मूछी और विलाप ३५ मनाने के लिए प्रस्थान माको समाना-बुझाकर रामका भरतकी रामसे लौटने की प्रस्थान ३५ प्रार्थना
५७ सौताका भी रामफे साथ जाना ३७ राम द्वारा भरतकी प्रशंसा ५७ लक्ष्मणकी प्रतिक्रिया और पिता- कैकेयीका समाधान पर रोष
३९ भरतका लौटकर रामकी माताको रामका लक्ष्मण को समझाना और समझाना
दोनों का एक साथ वनगमन ३९ रामका तापस वनमें प्रवेश ५९ सिद्धवरकूट में विश्राम
भानुष्कबनका वर्णन जिनकी वन्दना
४१ भीलबस्ती में राम और लक्ष्मणरामका सुरति युद्ध देखना ४३ का निवास वीरान अयोध्याका वर्णन ४५ बनके बीचमें प्रवेश रामका गम्भीर नदी पहुँचना तथा चित्रकूटसे दशपुरनगरमें प्रवेश नदीका वर्णन
४५ सीरकुटुम्पिकसे भेंट