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________________ पउभचरिट लाइयह सायर-वजावत्तई। गामहणा इष गुणे हिँ चइन्स ॥५॥ मेखिउ कुसुम-वासु सुस्सस्थे । परिणिय अणय-तणय काकुत्थं ॥३॥ जे जे मिलिय सयम्वर राणा। णिय-णिय णयरहों गय विदाणा ॥७॥ विवसु वारू णक्षत्तु गणेपिणु । छगु जोग्गु गह-दुस्थु णिएप्पिणु ॥८॥ धत्ता जोइसिएहि आएसु किउ 'अट लक्षण-रामहुँ स-रहसहुँ। आग्रहें कपणहें कारणेण होसइ विष्णसु बहु-रक्ससहुँ' ॥९॥ [१] 'ससिपखणेण ससि-वयणियउ। कुवलय-दल-दीहर-णयणियउ ॥१॥ कछ-कोहल-घीणा-वाणियउ।। भट्ठारह कपणउ प्राणियउ ॥२॥ दस लहु-मायरहुँ समप्पियउ लक्षणहाँ अट्ठ परिकप्पिपा ॥३॥ दोणेण विसला-सुन्दरिय। कण्हहाँ चिन्तविय मणोहरिय 11॥ वहदेहि अउज्मा-णयरि णिय ।। दसरहेण महोच्छव-सोह किय ॥५॥ रह तिस-चउहि पावरहि । कुकुम-कपूर-पवस्वरहि ॥६॥ चन्दन-छबोह-दिज्जन्तऍहि। गायण-गीहि गिज्जन्तएँ हि ।।७।। मणिमयर रयड वेहलिउ । मोतिय कणहि रमावलिउ ॥८॥ सोवण्ण-दण्ड-मणि-तोरण । ववई सुरचर-मण-धोरण ॥९॥ স্বা । सीय-वलाई पइसारियई घणे जय-जय कारिजम्सा। थियई अउराम अवचल, रह सोनल-स यं भुञ्जन्वाइँ ॥१०॥ [ २२. बावीसमो संधि] कोसलणन्दण स-कलचे णिय-घरु श्राएं आसामिहि किउ पणु जिगिन्दहों राएं ।
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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