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________________ २२६ पउमचरित्र जो घई णिसि-भीषणु उम्मदछ। बिमलत्तणु शिमल-गोतु लहह' ॥४॥ धत्ता सुअउ ण सुण ण दिवउ देक्षह केणवि वोचिड कहाँ षि ण अक्रमइ । मोमण मदणु चउस्थत पासाइ सो सिव-सासय-गमणु णिहाला ॥५॥ [५] परमेसरू सुद्छु एम कहा। जो जं मग्गइ सो तं लहइ ।।१॥ सम्मप्सह को वि को वि वयह। कों वि गुण-गण-धयण-रयण-सयई ॥२॥ तपचरणु इजा पस्थिवेण। सस्थल-प्पयर-णराहिण ।।३।। गय पन्दणहति करेवि सुर। जाणइ धरिनइ धम्म-धुर ॥४॥ राहवेंण वि षयह समिरिठयह 1 सुरु-दिगई सिरण परिच्छियई ॥५॥ वडणवर ण थाइ लक्षणहो। वालुलपह-णरय-णिरिपखगहों ॥६॥ तहि सिणि विकष्ट वि दिवस थिय । जिण-पुज्जन जिण-गवण कियाई ॥७॥ णिग्गन्थ-सयाँ मुआवियई। दीणहँ दाणवेवावियई ॥४॥ घत्ता निहुअण-जण-मण-णायणाणन्दहाँ घग्दणहत्ति करेवि जिणिन्दहों। जागइ-हरि-दलहरई पहिहइ तिणि वि दपदारण्णु पइट्टई ॥१॥ [१०] दिट्ट महाडइ णाई विलासिणि। गिरिवर-थणहर-सिहर-पगासिणि ॥an पश्चाणण-गह-णियर-वियारिय। दीहर-सर-लोयण-विष्कारिप ॥१॥ कन्दर-दरि-मुह-कुहर-विहसिय । सरबर-रोमावलि-सिय ॥३॥ चन्दण-अगरगन्ध-विविद्धिक्किय । इन्दगोव-कुकुम-चचिक्किय ॥४॥ अहवह किं बाहुणा विस्थाएँ। ण णइ गय-पय-संचारें ॥५॥ उज्झर-मुरवपफालिय-स। परहिण-थिर-सुपरिट्टिय-कन्वें ॥६॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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