SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . हकारि विणि विदुरेण । संचारिमरवणय रहो । पउमचरित [4] " तं सुर्णेवि महावय धारण "मं मोहि थाहि अण्णों मवहीँ । । तहिं हयूँ बिहु समाषडिएँ । थिङ खन्धु समद्धे चिं एककु जणु जो पुण्य भवन्तरे पक्खिय | से बुइ "लोहा ओसरहि । जिय-वयर-बर- विरुद्धएण ॥१॥ कहिँ गम्मइ एवहिँ मडु मरहौं" ॥२॥ "" पावास पर पाठ करेंत्रि । वसुभूइ-भिल्लु वण-जण-परें । णामेण अशुद्ध दुरि । दुलहाँ यि कुल-पन्वग्रहों । ते सुइय तासु जि सणय । गिरि-वीर महोहि हिर-गुण | पामक्किय स्वर्ण- -त्रिचित्त रह । छविस सलेह करें वि । जगन्तु अशुरु डामरिख । धीरिड लहुवड वडारपुर्ण ॥ ३ ॥ 11 उबसभा सहणु भूसणु तत्रहों ॥ अधुरन्धरें गरुअ-मारे पडिएँ ॥५॥ मिल्लाहिर अमुद्ध रण- मणु ॥६॥ पुरें जाणें परिरक्खियड ॥ ७ ॥ को मार रिसि तु महु मरहि" ॥ ८ ॥ T वोलाविय तेण कालान्तरेण मय । दय चर्डे वि पिसेणि लीलऍ सम्गु गय ॥ ९ ॥ [ ९ ] बहु कालु पारस - तिरियहिँ फिरेंषि ॥ १॥ पट्टों उप्पण्णु अरिट्टरें ॥२॥ कणय पह-जणणि जणिय- हरिसु ॥३॥ पण परव पियब्वयहीँ ॥ ४ ॥ विष्णाण कला-पर-पार-गये ॥५॥ पय- पालण रज-कज- गिरण ॥३॥ पउमावसु ससि-सूर-पह ॥ ७ ॥ गड सग्गु विचध्वज तहिँ मरें वि ॥ ८ ॥ रणे रण-विचित्र धरिउ ॥९॥ बता पहिं तेहि छड्डाविय, डमर । डुन अवर-भवेण अग्गिकेट अम्मद ॥ १० ॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy