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तं चयणु सुणेपिणु दुष्णिदार । वि-पय- कोई हिं पुशु पयट्टु । करइ कप्पदुम दिट्ट वेण । काथह मालइ कुसुमइँ खिवन्ति । कत्थइ लक्खड़ सरवर विचित्त । करधड़ गोरसु सब्वहँ रसा हूँ । कत्थड भाषा दशन्ति केम । कम नमकिन
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of a क्कार 'एदि एहि ।
पउमचरिउ
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रोमटिड खणें लक्ाण-कुमारु ॥१॥ णं सरि मय गल - मध्य जट्टु ॥ १॥ णं पन्थिय थिय णयरासपूर्ण ॥३॥ सीस व सुकइहॅजसु विभिसरन्ति ॥४॥ raगाहिय सीयल हि सुमित्त ॥५॥ पौणिम्गज माणु हरेचि ताहुँ ॥ ३॥ दुखण-वुध्यणे हिं जैस ॥ ७ ॥ सुयण
पंाश्य पसं
जेम ॥८ ॥
भी लक्षण लड्डु जिय पउम केहि ॥९॥
प्यारम्भ-वयर्णे दोहिय-जय गिलिउ जण
परभुऍहिं पुरणाइँ सेण । कत्थइ कुम्मा सहु णाहिँ । कथा सारि समुद्र-यंस । कर धय-बट णचन्ति एम । कत्थद्द लोहारे हिँ लोहखण्ड |
धत्ता
देउख-दादा-मासुरेंण । असुर - विमद्दणु एम्तड गयर - जिला रेंण ॥ १० ॥
मलेवि कुमारु । परिहारु वुत्तु 'कहि गम्पि एम ।
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अरुटि लक्षणु नाइँ ते ॥१७ र्ण ड णाणावि गाडएहिं ॥१२॥ लाइव सु-कुलीण विशुद्ध-वंस || ३ || चरि अम्हि सुरायर सर्गे जेम ॥ ॥ ४ ॥ पिट्टिइ परऍ व पावपिण्डु ||५|| शिविसेण पराइड रायवारु ॥६॥६ बरु बुच्चाइ आइ एक्कु देव ||७||