SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५८ पउमचरित [५] मुणिवद कहें वि लग्गु बिउलाई। किंजणे गणियहि धम्मफलाइ ।। १६॥ धमें महन्यद जय गय सन्दण। पावे भरण-विभोयन्द्रण ॥२॥ धमें सग्गु मोग्गु सोहगु । पाबें रोग्गु सोगु दोहनगु ॥३॥ घम्में रिद्धि विधि सिय संपय । पाचे अरथ-कोण पर विय ॥४॥ धम्मै काय मउड़ कहिसुसा।। पात्रे' णा दालि भुत्ता ॥५|| धम्में रज्जु करम्ति णिहचा। पावे' पर-पेसण-संजुत्ता ॥५॥ धम्में वर-पच्छके सुप्ता। पावें विण-संथार विभुता ॥७॥ धम्मै पर देव चणु वत्ता। पावें पयर-धोर संकता ॥८॥ धम्म णर रमन्ति वर-विलयउ। पावें दूषिउ दुह-णिलबउ ॥१॥ धम्मै सुन्दरु अङ्गु णिवद्धउ । पात्रं पमुलउ चि हिरन्धउ ॥३०॥ पत्ता धम्म-पाव-कप्पदुमहुँ आगई जस-अवजस-बहुलाई । वेण्णि मि असुह-सुहङ्काइँ जाइ पियर लइ ताई फलाई' ॥११॥ [१०] मुणिवर-वयाणे हिं दियवर वासिङ । लइड धम्मु जो जिणवरें मासिड ॥१॥ पत्राणुस्वय लेवि पधाइड । णिय मन्दिर गिविसेण पराइड ॥२॥ गम्पिणु पुणु सोम्म बजरियउ। 'श्रज्जु महम्तु दि अवस्थिङ ३॥ कहि वशु कहिं पहशु कहिं राणउ । कहिं मुणि दिटु अणेगई जाणउ।।३॥ कहिं मन कहिं लख जिण-वयण । वहिरे कपणन्धेण व णयण ॥५॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy