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________________ १२० सुर्णे व असुर-परायण हुँ । aft असे विवसš । एक्कहाँ मसि निम्मल धवल तणु एक्कड़ों महि- माणदण्ड चलण । एक्कही त म पीसियउ । एक्क लुसिय-सहिउ | एक्कों मसाणु हेड हलु | एक्क मुह ससिकुन्दुज्जरूठ । तिचहिँ पडिउ | बत्ता सं वयणु सुणेपिणु विगय-मउ णीसन्दुजु विग्गड णिपुर । एवों चलणें हिँ पदिउ किह हियूँ जिपिन्दह इन्दु जिह ॥९॥ [ धगधगधगन्तु | 'शृणु हणु' भगन्तु | करयल णन्तु । विष्फुरियवयणु । पउमचरिउ [1 जं चिन्ह व ारायणहुँ ॥ १ ॥ सुरभुवणुच्छ लिय-महाजसहुँ ॥२॥ । अण्णेक्कड़ कुवलय- पण करणु ॥३॥ कहीँ हुम-दणु-दलः ॥४॥ अण्क्क कमल विडुसियस ॥ ५॥ सीगहि || ६ || महि- माणदण्डु | सो ऋषि एव । जं पद्म पुण मुक्काल्छु अक्कहाँ हरु अतुल खलु ॥७॥ भण्णेक्कपण-वण-सामरूड' ॥८॥ विउ ल र्ण साह मज्जायएँ घरिङ । वलेण णित्रारियड़ | ] सं लक्षणु कोवाणले चलि ॥१॥ थरथरथरन्तु ॥ २ ॥ ककि कियन्तु ॥३॥ घत्ता सुणेपिणु असुल-बलु 'सुणु लक्खण' पचविउ एष वलु । जो ते लिह को जसु बि ॥९॥ महि लिन्छु || ४ || गिरियजय ||५|| परदल पचण्डु ॥६॥ 'रिव मेल्लि देव ॥७॥ पुजइहए ||४| [ 10 ] १० ||१|| சு इन्दु कष्णारि पु-पुणु विचवि मकर-भरिउ ॥ २॥
SR No.090354
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages379
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size6 MB
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