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पउमचरित
मपण-सरामणि रें वि ण सकिउ । वम्महु दस-याणे हिँ पढ़किउ ॥३॥ पहिलएँ कहाँ वि समाणु ण घोझाइ । वीयएँ गुरु णीसासु पमेला ।।४।। सइयएँ सयल अशः परितप्पइ। घउथएँ, करवत्त हिँ कप्पड़ ||५|| पत्र में पुणु पुणु पासेइजह । छट्टएँ वारवार मुच्छिज्जाइ ।।६।। सत्तमें जलु वि अलर ण मावइ । भट्ट, मरण-लील दरिसावइ ।।७॥ गबमएँ पाम पात ग वेम। दस सिर छिमन्तु पहा॥
घत्ता
एम वियम्भिउ कुसुमाउहुँ दसहि मि थाणे दि । सं अपहरियउ जे मुक्छु कुमार पाणे हिं ॥२॥
[१] अंकण्ठ-हिउ जीवु कुमारहों। सण्णएँ वृत्त 'पहिउ हकारहों' ॥ पहु आप्पएँ पाइक पधाश्य । णिनिस, तहाँ पासु पराइय ४२॥ पणवें वि कुसु वि-खण्ड-पहाणउ । 'तुम्हढं का मि कोकाइ राणउ' ॥३॥ #णिसुणे वि उचलिज जणणु । तिहुलण-जण-पय-पस्यणाणम्दणु ॥४॥ षियण पत्रीह देन्सु णं केसरि। छन्द मारकम्त वसुन्धरि ॥५॥ दिट्टु कुमार कुमार एन्तउ । मयणु जेम जण-मण-मोहन्सउ ॥५॥ खणे कलापमालु रोमशिद। णडु जिह हरिस-विसाएँ हि पचिठ॥७॥ पुणु भइसारित हरि अखासणें। भविउ जेम थिउ दिन जिण सासणे ॥८॥