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हिँ अवसरे भरसरहों
पर चक्के हि मि पत्रिय कम मालूर-पवर- पीवर घणा है तहों दह-पचास
I
हुँ ।
चउराली लक्खहूँ गय वराहं । कोढी तिणि वर घेणुवाहुँ । वत्सीस सहासइँ मण्डलाहूँ । पत्र मिडियाहूँ सत्त-मत्त |
जिह बप्पण
तिहू पुसण
माहपण
जुन्
पद्ममचरिउ
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पसर ण पट्टण चक्क रयणु । जिह बम्बारि मुद्दे काम सधु । जिह वारि-विवर्णे हरिय-गृह ।
सयल-पुहट्ट - परमेसरहों । जान रिद्धि सुर-रिद्धि-सम ॥१॥ कृष्णवज्ञ सहास वरङ्गणाएँ ॥२॥ घरासी ललई सन्दणाहूँ ||३|| अट्ठारह कोडिड हयवराई ॥ ४ ॥ चील सहास राहिबा ॥४॥ कम्मन्त कोटि पत्रहरू हलहुँ ॥ ६ ॥ मेणि एक उत्तम
खण्ड
धत्ता
लड्ड णाणु तं केवलु | स हूँ मु य लेण महल || ||
४. चउथो संधि
सट्टि वरिस खामहिं पुष्ण-जयासहि भरतु उस पसरट् । पत्र- पिलियर-धार कलह- पियार करण पर
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जिह अनुदकमन्तरं सुइ-चणु ॥१॥ जिह गोकर्ण मणि-रण-दर ॥२॥ जिह हुजण जर्णे सण-समूहु ॥ ३ ॥