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में समपरण परिडि जानहिं । चलियई आसणाई अहमिन्दई ।
जिगसंपर
'कि अच्छ
तं विवि परामहि मणि-रण-प्यह रक्षियहूँ
श्रागच्छहु
पउमचरिउ
केहि मिम महिस किस कुंजर केहि सिकरवराह तुरङ्गम । केहि सिसम सारङ्ग पवङ्गम । हिम सिंध गय गण्डा । केहि मि सुधार मच्छोहर । दुम पवार वर भवण - णिवासिय । बहुविह कप्पामर कोकन्तउ । विग्भम- हाव-भाव - संस्पोटिहिं ।
धाइय पर
ताब गलिय-दाणोश्रज जिग वन्दण- गवणंमणज
जोयणख पमाणु परिडिङ । उप्पर पेक्खणाएँ पारद हैं । उभय भय धूवन्तहूँ
हूँ ।
अमर राज संचलित वावहिं ॥२८॥ विसहरमा
रे
धत्ता
सुरवर सुरवर-विन्दहुँ । बन्दहुँ' ॥ १० ॥
जाडु भार
छत्ता
विलु क्रिय- कल्यलु चठ विह-देव निकायहाँ ।
कट्टिय-धर
[ ५ ]
कद्वय मउड कुण्डल घरे हि । नियणिय जाग मज्जियइँ ॥३॥ । केहि मितरिच्छ मिंग सम्वर ॥ १ केहि मिस मऊर विक्रम ॥३॥ केहि मिरहचर णरवर जङ्गम ||४|| केहि मि गरुड कोच कारण्डा ॥ ५ ॥ एम पराइच सय त्रि सुरवर ॥ ६ ॥ विस्तर अरु पक्ष जोईरिय || ॥ ईस्राणि त्रि आउ तुरन्त ॥ ८ ॥ परिमित सर को डिहि ॥९॥
सुरवर-वल्लहरा यहाँ ॥ १० ॥
[ ६ ]
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कण्ण-अमर हय-महुयरउ | परिवडि अइरावण्ड ॥१॥
वीषज मरु णाएँ समुट्टिङ ॥२॥ चामीयर तोरण निवन्द्र ॥३॥ किहूँ बगइँ फल-फुल्ल समिद्धई ॥४॥