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पउमचरिउ
कणियारिकणवीर-मादूर-वरलेहिं । सिरिखण्ड - सिरिलामली-साल-सरलेहिं९ हिम्ताल-ताले हि वाली तमाहेहिं । जम्बू-वरम्वेहिं कमण कयम्वेहिं ||१०|| सुव-देवदारुहिं रिद्धेहिं चारेहिं । कोसम्म सञ्येहिं कोरण्ट कोअंहिं ॥ ६१॥ अवश्य-जूहिहिं जासवण मलोहिं कंपऍ जाएहि अवरहि मि जाहिं ॥ १२
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घत्ता
तहि दिउ सुमपि वड पायउ थिस्-थोरड । सुद्द जरि मे ॥१३॥
वणवण
[२]
तहि श्रावि परमेसरेंण विलय से संचूरिड
एक सुख क्षाणग्गि पलितहों । तियगारह ति-सल फेडतहों । पश्चिन्दिय दणु-दप्पु हरन्तहाँ । सच महाभय परिसंसन्तहो।
वि यम्मचेरु रक्खन्त हों । सुइ एबारहंग जाणत हो । रविचारितु चरन्तहों । पणार पमाय वजन्त हों । उत्तरह संजम पालम्हों ।
आइ पुराण - महेसरेंण । सुकाणु आऊरियउ ॥ १॥ दो-गुण-धरही दुविइ-तव-तसों ॥२॥ उहि कमिन्धई डहन्तों ॥३॥ छन्चिद्द-रस-परिचाव करतहों ॥१४॥ ॥ अट्ट दुध मय णिण्णासम्बद्द ॥५॥ दसविहु परम धरमु पालन्तों ॥ ६ ॥ बारह अणुख चिन्तन्तहों ॥ ७ ॥ चउदसविह गुणथाणु चन्तों ॥ ८ ॥ stefan कलाय मुचन्ताहों ॥२॥ अट्ठारह षि दोस णासह ॥१०॥
धत्ता
सुह-झाणहो गय- भाणद्दों अइपसण्ण-मुहयन्दहों । धवलुजल सं केवलु णाशुप्पण्णु जिणिन्दहों ॥ ११ ॥