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________________ १५ गया घना जिमिउ भडारउ जं जे सेयंस अप्पड भाव वि। वन्दिउ रिसह-जिपिन्दु सिरे सई भुव-जुबल चावं बि ९॥ इय एत्थ प उ म च रिए 'जिणवर-णिक्रसमण' इमं धणयासिय-सय म्भु एच-कए। वीयं चिय साहियं पम्वं ।। [३. तईओ संधि] तिहुण्य-गुरु तं गयउरु मेल्लें वि स्त्रीण-कसाइउ । गय-सम्सउ विहरन्तउ पुरिमतालु संपराइड ॥ [ ] दीहर-कालचक्क हऍण परिस-सहासे पुण्णऍण । सयडामुह-उजाण-वशु दु भडार रिमह-जिणु ॥३॥ सम्मं महा जं च पुण्णाय-गाएहि । कुसुमिय-लया-वेल्लि-पल्लव-णिहाएहि २ कापूर-ककोळ-एला-लवङ्गेहि । मह-माहची-माहुलिङ्गी-विहङ्गेहि ॥३॥ मरियाड-जी-कुंकुम-कुडक्रेहि । णध-तिलम-वउलेहि चम्पय-पियशहि ॥ णारा-गग्मोह-आसत्य-रुकवेहि । वैकेलि पउमक्स-रक्ख-दखेहि ।।५।। खजूरि-जम्बिरि-वण-फणिस-लिम्वेहि । हरियाल-उएहिबह-पुसजीबेहि॥॥ सत्तष्ठयामस्थि-दहिवपण-गन्दीहि । मन्दार-कुन्दिन्दु-सिन्दूर-सिन्दीहि।।।। बर-पाडल्ली-पोफळी-णालिकरीहिं । करमन्दि-कथारि-करिमर-करीरेहिं ॥८॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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