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पउमपरिक
केहि मि उकिमयाई धप-चिन्धई। केहि मि गुरु-थोनई पास्तइँ ॥६॥ केहि मि छायउ माल-मालउ। परिमल-वहालउ भसल-मालउ |st केहि मि चेणु केहि वर-वीणउ। केहि मि तिसरियाउ सर-लीगउ ॥८॥
पत्ता ज परियाणि जेहिं तं तेहि सध्बु विपणासिउ । तिहुअण-सामि भणेवि णिय-णिय-चिण्णाणु पयासिउ ॥९॥
पहिलउ कलसु लइउ अमरिन्दें। वीयउ हुअवहेण साणन्दै ॥१॥ तइयउ सरह सेण जमराएं। घजथउ णेस्यि-देवें आए ॥२॥ पशमु वरुणं समरें समरथे । छटल मारुपण सरे हत्थं ॥३॥ सरामउ वि कुवेर अहिहाणे । अट्टमु कलमु लाइउ ईसाण ॥४॥ णवमउ संमाविन घरणिन्दें। दममा कलसु लज्जइ चन्दै ॥ ॥ अण्ण कलस उच्चाइय अण्णे हि। लव-कोटि-अक्खाहगि-नागणे हि ॥५॥ सुरवर-वेलिल अछिपण रएपिणु। चत्तारि वि समुद्द लखेप्पिणु ॥७॥ खार-महण्याचे खोरु मरेप्पिणु । अण्णही अण्णु समप्पइ लेपिणु ॥८॥
घत्ता हाविउ एम सुरेहि -मङ्गल-कलस हिं जिगबरु । णं णव-पाउस-काले मह हिँ अहिसित्तु महीहरु ॥५॥
[६] मङ्गल-कलसें हिं सुरवर-सार । जय-जय-स महविउ भढारत It सो प्रस्धन्तरें य-पडिवो। मेहें वि बज-सूइ सहसा ॥२॥ कृष्ण-जुअलु जग णाहहों विज्झइ | कुण्डल-अलु अत्ति आइज्सह ॥३॥ सेहरु सोसे हारु वच्छत्थले। करें कङ्कणु कदिसुत्तउ कड़ियलें ॥४॥ तिहुमण-तिळयहाँ तिलउ थवन्ते । मणे भासविउ दससयणेतें ॥५॥