________________
पड़मचरित
तं णिसुणेवि णराहिउ घोस। पुष्व-विदेहे तिलोभाग्यन्द ।
-
कम्म-भूमि लइ एहि होसइ ।।७।। कहिउ आसि महु परम-जिणिन्दै ।। पत्ता तारायण-पुष्फहीं। अवप्पिणि-राखाहों ॥५॥
णव-समारण-पल्लवहीं भावई बन्द-सूर-फलई
[१३] पुणु जाउ जसुम्मउ अतुल-थामु । पुणु विमलवाहणुच्छलिय-णाम् ॥ १॥ पुणु साहिचन्दु चन्दाहि जाउ। महाड पसेणइ जाहिराउ || तहों पाहिहें पच्छिम-कुलयरासु। मरूपति सई व पुरन्दरासु ॥३॥ चन्दह) रोहिणि व मणोहिराम । कन्दप्पहो रह व पसण्ण-णाम ||| सा गिरलंकार जि चारुमत्त । आहरण-रिद्धि पर मार-मैच ||५|| तह गिय-लायण्णु जे दिण्ण-सोहु । मलु केवल पर कुकुम-रसोडु ॥ ६॥ पालेय फुलिङ्गावकि जें चारु। पर गयउ मोत्तिय-झारु भारु || ॥ लोयण जि सहावे दफ-विसाल। आडम्बरु पर कन्दोष्ट-माल ||८॥
घन्ता कमलासाएँ ममन्तऍण श्रलि-बल एं मन्दं । मुहकीपर कम-जुगल किंतर-सः ॥९॥
सो एत्धतिर भाणव-वेस। आइड देविड इन्दापसें ।।१। ससि-वयणिर कन्दो-दलछि। कित्ति-बुद्धि-सिरि-हिरि-दिहि-हरिछा सपरिवारउ दुकर नेत्तहँ। सा मरुवि भडारी जेसह ॥३|| का वि विणोउ कि पि उप्पाय। पदइ पागअन गायह वायह ।।४।।