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________________ एटमचरिड [ 3 ] सिर- सिहरे चडाविय करयरुग्गु । मगहा हिउ पुणु बन्द करमु ॥ १ ॥ शिवनागरिग्दसेि ॥ ५ ॥ अट्टविह-परम-गुण- रिद्धि-पन्त ॥ ३॥ बम्म निम्मण पणटु-मेह ॥३७॥ वीस सुरिन्द- क्रियाहिसेय ॥ ५ ॥ सुर-मद-कोडि-मणि- विट्ठ- पाच ॥ ६ ॥ अक्खन अणत हचक -सहाव' ॥७॥ कुणु पुछि गोशमलामि तेण ॥८॥ १५ 'जय लव जय विवण-सामिय-तिविह उस जय केवळ पाणुमण्ण देह | जय जाइ जरा मरणारि-य । जय परम परम्पर बीयराय 1 जब सब जीव - कारुण्ण माख । पपिणु जिणु तमाय-ममेण । 'परमेसर पर सासणें हिं कहें जिण सासणें कम थिय घसा जगे कोएँ हिँ टक्करिषतहिं । जर कुम्में वरिष धरणि-वीड । अह राम तिहुअणु उबरें माह | to वि खरदूषण - समरें देव । किह लियम-कारण कविवरेण । किह वाणर गिरिवर उम्बदन्ति । सुबह विवरी । कद राहव - फेरी ॥ ९॥ [20] उप्पाउ संतिज मन्तएहिं ॥ १ ॥ तो कुम्सु पढन्तर क्रेण गोहु ॥ २ ॥ तो राजणु काहँ तिय लेषि जाइ ॥३८ पहु शुझइ सुझाइ भिच्छु कँव ॥४॥ वाइज वालि सहोयरेण ॥५॥ धन्धेवि मयरहरु समुत्तरन्ति ॥ ६ ॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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