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एटमचरिड
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सिर- सिहरे चडाविय करयरुग्गु । मगहा हिउ पुणु बन्द करमु ॥ १ ॥
शिवनागरिग्दसेि ॥ ५ ॥ अट्टविह-परम-गुण- रिद्धि-पन्त ॥ ३॥
बम्म निम्मण पणटु-मेह ॥३७॥ वीस सुरिन्द- क्रियाहिसेय ॥ ५ ॥ सुर-मद-कोडि-मणि- विट्ठ- पाच ॥ ६ ॥ अक्खन अणत हचक -सहाव' ॥७॥ कुणु पुछि गोशमलामि तेण ॥८॥
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'जय
लव जय विवण-सामिय-तिविह उस
जय केवळ पाणुमण्ण देह | जय जाइ जरा मरणारि-य । जय परम परम्पर बीयराय 1 जब सब जीव - कारुण्ण माख । पपिणु जिणु तमाय-ममेण ।
'परमेसर पर सासणें हिं कहें जिण सासणें कम थिय
घसा
जगे कोएँ हिँ टक्करिषतहिं । जर कुम्में वरिष धरणि-वीड । अह राम तिहुअणु उबरें माह | to वि खरदूषण - समरें देव । किह लियम-कारण कविवरेण । किह वाणर गिरिवर उम्बदन्ति ।
सुबह विवरी ।
कद राहव - फेरी ॥ ९॥
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उप्पाउ
संतिज मन्तएहिं ॥ १ ॥
तो कुम्सु पढन्तर क्रेण गोहु ॥ २ ॥ तो राजणु काहँ तिय लेषि जाइ ॥३८ पहु शुझइ सुझाइ भिच्छु कँव ॥४॥ वाइज वालि सहोयरेण ॥५॥ धन्धेवि मयरहरु समुत्तरन्ति ॥ ६ ॥