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________________ पढमाचारद काहि कादिम-घयण दाहिमाई। णमन्ति ताई णं कइ-मुषा ॥३॥ जहि-महुयर पन्तिउ सुन्दराड । केयइ-केसर-स्य-धूसराउ ॥७॥ जहिं दक्षा-मखन परियन्ति । पुणु पन्थियरस-सलिलई पियन्ति॥८॥ पत्ता साहितं पण रायगिहु धण-कपाय-समिद्धत । णं पिहिविएँ णव-जोचणएँ सिरे सेहरु आइज ॥५॥ चउ-गोडर-घउ-पापारवन्ध । हसइप मुसाहल-वषल दन्तु ॥१॥ पबह र मरुपाय-धप-करण। धरह णिवसन्तउ गएण-मणु ॥२॥ धूलग्ग-मिग्ण देवउक-सिहरू। ण प पारावय-सर-गहिरु ॥२॥ घुम्मदप गएँ हिं मय-भिम्भहदि । इह व तुरनहिं चमकेहिं ॥४॥ हाई प ससिकम्त-जलोहरोहिं । पणवह व हार-मेहल-भरेहिं ॥५।। पाखला व पेडर-णियहएहि । विस्फुरद व कुशक-जयकएहिं ॥५॥ किलिकिका व सध्वजणुच्छवेण । गम व मुख-मेगी-स्वेण | गायइ बालाषिणि-मुच्छणेहि। पुरषद व घण्ण-ध- हिं ॥८॥ घत्ता पिवडिय-पणे हि फोफ्फ हिं त्रुह-सुग्णासों। अण-चलणग्ग-विमरिऍण महि रङ्गिय में ॥१॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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