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पढमो संधि
विहुमणलमाण-खम्भु गुरु पुणु प्रारम्भिय रामकह
परमेट्टि पवेप्पिणु । आरिसु जोपप्पिषु ॥१॥
पणवेपिणु भाइ-महाराहों। संसार-समुत्ताराहों ॥३॥ पणवैपिगु अजिय-जिणेसरहों। दुजय-कन्दप्प-दप-हरहों ॥२॥ पणवेपिणु संमवमामियहाँ। तहलो-सिहर-पुर-गामियहाँ ॥१॥ पणवेस्पिण अहिणादण जिणहों। कम्मट्ट-दुटु-रिउ-णिजिगहों ॥३॥ पपवेवि सुमइ-तिस्थारहों। क्य-प-महादुम्बर-धरहों ॥५॥ पणवेपिणु पदमपइ-जिणहो। सोहिय-भव-फरख-दुक्ख-रिणहों 11६॥ पणवेप्पिणु सुरवर-साराहो। जिष्णवरहों सुपास-भताराहों ॥७॥ पणवेग्पिणु धम्दष्पह-गुरुहीं। भत्रियाया-सडण-कप्पतरुहो ॥८॥ पपवेष्पिणु पुष्यन्त-मुणिहें। सुरभवागुच्छलिय-दिग्व झुणिहें ॥९॥ पणवेपिणु सीयल-पुकमहो। कल्लाण-प्राण-गाणुगमहों ॥१०॥ पणवेप्पिणु सेन साहिवहाँ। भच्चन्त-महन्त-पत्त-सिवहीं ॥११॥ पणधेषिपणु वालुपुज-मुणिहैं। विप्फुरिय-गाण-चूडामणिहें ।।१२।। एणवेप्पिण विमल-महारिसिह। संदरिसिय-परमागम-दिसिह ॥१३॥ पणप्पिशु मालगाराहों। साणन्तहों धम्म-महाराहों ॥१४॥ पणवेपि सन्ति-कुन्थु-भर। तिणि मि तिअण-परमेसर हैं ॥१५॥