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________________ कराय -सयम्भूएव - किउ पउमचरिउ णमा -कमल-कोमल-मजहर वर-बल-कन्ति सोहिलं । सहस्न पाम -कमलं ससुरासुर-धन्दियं सिरसा ॥१॥ दीहर-समास-पास सड़-दर्द अध्य- केसघवियं । वुह - मयर - पीयरसं वयम्भुकम्पलं जय ॥२॥ पहिंकड जयकारेंवि परम-मुगि। झुणि जाहँ अणिट्रिय रतिदिणु । ख खशुषि जाहँण विचल मुणि वयणें जा सिम्त भूमि ॥१॥ जिणु हियऍ न फिटइ एकु णु ॥११॥ मणु। मणु मग्गड़ जाएँ मोक्स-गमणु ॥३॥ गमणु वि ज िम जम्मणु मरणु ॥४॥ सुणिवर जे छग्गा जिणवरहूँ ॥५॥ परु केव कुक्कु जें परिषणों ॥६॥ तिण-समय गाहिं लड्डु णस्य रिणु ॥७॥ भव- रहिय धम्म-संजम - सहिय ॥८॥ मरणु वि कह होइ सुणीवर हूँ । जिणवर में छीम माण परहों । परिवणुमनें मण्डि जेहिं विणु। रिणु केम होइ भव-भग-रदि । घसा जे काय-वाम-सणें जिद्धिरिय जे काम कोह-दुण्णय-सस्थि । से एक-मयेण स मं सु ऍण वन्दिम गुरु परमायरिय २९ ॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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