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________________ ५ पउमचरित पिठ कमल वि ॥३ लड् षट्ट गिरि कलासु णेमि ॥ ७ ॥ बरु से होस को नि ते ' ॥ ८ ॥ ११२ शिम्पुण रमति धण उपण चिन्त 'कहीं कण्ण देमि । बिज्जाहर सय मिळम्ति जेथु । धसा गड एम भणेवि पहु पब्वयों जिण अट्टाहिए अहावयहाँ । आश्रासि परसेंहिं गोयड हिं णं वारायणु मन्दर त हिं ॥९॥ [ * ] सहुँ कंडसइऍ रविपुर आउ ॥१॥ एसविता पल्हाय-राउ | स विमाणुस साहस-परिवारु । अष्णु वि तहि पचणञ्जय कुमारु ॥ २ ॥ णं वन्दहत्तिएँ इन्दु अड् ॥३॥ ते ते विज्जाहर मिलिय सच्च ॥४॥ किय हवण पुज्ज लोक्कणा हें || ५|| । मित्तष्क्ष्य परोप्यरु हुआ ताहँ ॥ ६॥ 'तरणिय कष्ण महु तणउ पुत्तु ॥७॥ तं शिवि ते विदिष्ण घाय ॥ ८ ॥ मटियाँ मुहइँ खल-दुज्जणाएँ ॥९॥ एक्कत दूसावासु लड्ड । अवर वि जे जे आसगण-मन्त्र । पहिलाएँ फग्गुणणन्दोसराहें । दि बीयविह्निमि नराहिवाहँ पहाएँ कवि तु । किण कीरह पाणिगहणु राय' । परिओसु पवद्विड सज्जा हूँ । 'चतु अञ्जण बाउकुमारु वह' 'लक्ष्य वासरें पाणिग्गणु धूमाइ त्रष्ठइ धगधगद् चितु चन्दि घत्ता घोसेध्पिणु णयमाणन्दयस् । राय परवड वियय - नियय भवणु १० ॥ [4] एत्यन्तरें दुज्जड दुष्णिदारु । मयणाउरु पत्रणञ्जय कुमारु ॥१॥ उ विसहइ सय दिवसु एन्तु | अणि शम्पन्तु ॥२॥ चन्दु घन्दणु जलधु। मन्दिर अन्त पलितु ॥३॥ कंप्पूर- कमलदन सेज्ज - मध्वु [1811 ११
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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