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________________ पउमचरिउ तं सुष्पिणु णिमियरिन्दुस से मुलियन् ॥ ७ ॥ परियचैचि गर्दै विथुर्णे वि गिविं । सगलु वि जणु वयइँ कयन्तु दिछु । ८॥ २९. महवय को वि कवि अणुत्रय को त्रि दिड सम्मत्त कवि थि घता को त्रि सिक्खावय गुणवयहूँ । पर रावणु एक्कु ण उवसमिव ॥ ९॥ धम्महु महारिस भइ तेरधु । दहमुह मोहम्धारें छूट । अमियालएँ अमिउ ण लेहि केम | तं वयणु सुष्पिणु दससिरेण । 'समि भूमएँ सम्पदेवि । सक्कमि गिरि-मन्दरु हिलेवि । सक्कम मारुइ पोट्टले छुहेचि । सक्कमि रणायर-जलु पिषि । [२] 'मणुयत्तु हें चि बहस वि एत्थु ॥ १ ॥ यायस्यणु ण केहि मूढ ॥२॥ अच्छहि णिहुअउ कट्टमर जेस' ॥३॥ बुम्बइ धोत्तुग्गीरिव - गिरेण ॥४॥ सक्कमि फण- फणिमणि स्यशु केवि ५॥ सक्कम दस दिसि वह दरमले ६॥ सक्कम जम-महि समारुहेवि ॥७॥ सक्कमि आसीविसु अहि णिचि ॥८॥ धत्ता कमिसक्कों में उत्थरे वि कमि सखि सूरहँ पह हरे बि सक्कम महि गणु एक्कु करें वि दुखरु ण सक्कमि व घरे वि ॥ ९ ॥ [3] 'कड् लेमि एक्कु वड' लुत्तु तेण ॥१॥ तं मण्ड कमि ण पर कतु ॥२॥ भिउ अचलु रज्जु भुखन्तु खयरु ॥३॥ पुरवरें इच्छिय-अणुअ-कामें ॥३॥ सहें हियञ्जसुन्दरी मणोज्ज ॥५॥ परिचिन्तं वि सुरु राहितेण । 'जं मद्देण सच्छिद्र चातु | गड एम भणेपिणु पियय-गयरु । एत वि महिन्दु महिबु जामें । सो हिययचेय णामेण मज्ज |
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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