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________________ ૨ तं वयणु सुणेपिणु मामरण । 'सहसा लिएका कालिज कङ्काहिउ बुज्वरात्रि मण ॥ ८ ॥ तुम्ह जिहा॥ि५॥ लहु वहिणि सोबर लिए जाहुँ । आरू वि किज काई ताहुँ ॥३०॥ चत्ता . - पउमचरिउ संवय सुर्णे विदवत्र चूडामणि- पाहुड-दस्थउ मच्छरु म परिलेसियउ । इन्दर कोकड पेसियउ ||११|| [ २ ] दुबई आय धुते वि पिय-वयहि जोक्करिव दसाणणो । किक्किन्ध-णयरु सुग्गी व मिलिड समन्ति लामो ॥१॥ एतढिय सङ्क णरवर-जलासु ॥२॥ उ पाण पत्रण - वेद ॥३॥ रेवा-विवाद रहि अन्तरले ||४ अल्लीपासु निसिभढ (१) ॥५॥ नखत्त कुसुम- सेहर साह ॥ १ ॥ भगव-भेसह कण्णावयंस ॥१॥ जोहारलोकिरहार-मार ॥ ८ ॥ मिलि-बहु अल्लीण मिलायशसु ॥ ५ ॥ घत्ता विष्णव सील-सहावई सुरउस भुन्ताहूँ । *मादिणरु कहि मिणिपुराउ' पाइँ स सङ्कहूँ सुसाई ॥ १० ॥ एव-कषु । इय इत्थ प उ म चरिए कला सुद्वरण मि धनञ्जयासिय स य तेरसमं साहियं प० ॥ प्रथमं पर्व साहिद अरि-खोहणि महासु । रहन्तुरय-गद्दन्दहुँ गाहिं छेउ | थिय अग्गिम बेलि - महाविसालें | अस्थवाहों डुबक पर साम । वरि लगा-वस्थ सीमन्त- वाह । क्रिलिय चञ्चक्किय-गण्डनास | बहुलक्षण सहर-तिलय-तार | णं विदिट्टि दिषायरासु ।
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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