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तं वयणु सुणेपिणु मामरण । 'सहसा लिएका कालिज
कङ्काहिउ बुज्वरात्रि मण ॥ ८ ॥ तुम्ह जिहा॥ि५॥ लहु वहिणि सोबर लिए जाहुँ । आरू वि किज काई ताहुँ ॥३०॥
चत्ता
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पउमचरिउ
संवय सुर्णे विदवत्र चूडामणि- पाहुड-दस्थउ
मच्छरु म परिलेसियउ ।
इन्दर कोकड पेसियउ ||११||
[ २ ]
दुबई
आय धुते वि पिय-वयहि जोक्करिव दसाणणो ।
किक्किन्ध-णयरु सुग्गी व मिलिड समन्ति लामो ॥१॥ एतढिय सङ्क णरवर-जलासु ॥२॥ उ पाण पत्रण - वेद ॥३॥ रेवा-विवाद रहि अन्तरले ||४ अल्लीपासु निसिभढ (१) ॥५॥ नखत्त कुसुम- सेहर साह ॥ १ ॥ भगव-भेसह कण्णावयंस ॥१॥ जोहारलोकिरहार-मार ॥ ८ ॥ मिलि-बहु अल्लीण मिलायशसु ॥ ५ ॥
घत्ता
विष्णव सील-सहावई सुरउस भुन्ताहूँ । *मादिणरु कहि मिणिपुराउ' पाइँ स सङ्कहूँ सुसाई ॥ १० ॥
एव-कषु ।
इय इत्थ प उ म चरिए कला सुद्वरण मि
धनञ्जयासिय स य तेरसमं साहियं प० ॥ प्रथमं पर्व
साहिद अरि-खोहणि महासु । रहन्तुरय-गद्दन्दहुँ गाहिं छेउ | थिय अग्गिम बेलि - महाविसालें | अस्थवाहों डुबक पर साम । वरि लगा-वस्थ सीमन्त- वाह । क्रिलिय चञ्चक्किय-गण्डनास | बहुलक्षण सहर-तिलय-तार | णं विदिट्टि दिषायरासु ।