SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१४ पङमचरित [१०] दुवई सालदारू सु-सरु सु-वियड्तु सुहावर पिय-कलत्तु चं । आरोहि-अध (?) रोहि-याइय-संघारिहि सुरय-तत्तु वे ॥१॥ जव-बहुभ-णिडालु व तिलय-चारु । गिग्यण-गयणय लु व मद-तारु ।।२॥ सण्णद्ध-चलं पिव लय-ताश! धरिव सज्जोड पसपण-वाण ||३| तं गेउ सुप्पिाणु दिग्ण णियय । घरगिन्दै सत्ति अमोहविजय ।।४।। लियसाह पवेषिणु रिसह-देउ। पुणु गउ णिय-गयरहों कइकसेउ॥५॥ एस्वन्तर सुग्गीउसमासु। उप्पण्णउ केवलु णाणु तासु ॥६॥ वाहुबलि जेम थिङ सुन्छु-तु। उप्पण्णु अपणु धवलायवन ॥७॥ मामण्डल कमलासण-समाणु । बह-दिवसेंहि गड णियाण-याण ॥४॥ दससिह वि मुरासुर-हमर-भार। उच्चहइ पुरन्दर-बार-धरि ॥९॥ घता 'पइस वि जेप्प रण-सावरें तहाँ सलहों पुरन्दर-हंसाहों मालिहं खुद्धिय सिर-कमलु । पाडमि पाण-पक्ष-जुअलु' ॥१॥ [ 1] दुवई एम भणेवि देवि रण-भेरि पयष्टु तुरन्नु रावणो । ओ जम-धणय-कणय-बुह-अट्ठात्रय-धर-धरहरावणी ॥१॥ णीपरिऍ दसाणणे मिसियरिन्द । णं मुबास गिरगय गइन्न ॥२॥ माणुण्णय णिय-णिय-वाहणत्थ। दणु-दारण पहरण-पवर-इत्थ ॥३॥ समुह वर णिविड गय-घट घर(?)। णन्दीमा-दीवु व सुर पग्रह ॥४॥ पायाललक पावन्तपय । दागी दइरु यहन्तएण ||५ पन्जलिउ जलशु जालासरण(?)॥ बुखाइ 'स्वर-दूसण लेहु ताव । रमाल खुद्द पिसुण परिधिटु पात्र'७||
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy