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________________ पडमचरिङ [ ] जं किउ जयकार णाम-गहणु। तं णवर चलें वि थिड अपण-मणु॥१॥ ण करेइ कण्ण वयणाई पहु। जिह पर-पुरिसहाँ सु-कुलीण-बहुर एस्यन्तरे दहमुह-दुभएण । अच्चन्त-विलक्ली हाएं पा ॥३॥ जिम्मसिंधड मेल्लेंवि सयण-किय । 'जो की विणमेसइ सासु सिमा णीसह सुई भायहाँ पट्टणहो। णे तो मिद्ध परएँ इसाणणहो' ।।५।। के णिसुर्णेवि कोव-करम्विण। पविदोष्ट्रिउ सीहविलम्बिएण॥३॥ 'अरें वालि देउ कि पई ण सुउ। मदु महिहरू जेण भुहि विहुउ॥॥ जो णिषिसरेण पिहिषि काई । चत्तारि वि सायर परिममा ॥४॥ घप्ता जासु महाजसपर रणे अणषण धरलीहअज सिहुवणु । तासु वियवाही भम्भिाहों कवणु गाणु किर रावणु' ।।१।। [ ] सो दूर कडुय-वयणासि-हउ । सामरिसु दसासहा पासु गर ॥ "किं बहुए एत्तिउ कहिउ मह । तिण-समउ वि ण गणा वालि पाई । सं वयणु सुणेपिणु इससिरैण। बुरुचाइ रयणायर-रब-गिरें ॥३॥ 'जहरण-मुहें माणु ण मलमि तहों। तो छिस पाय रयणासवहाँ ॥ आरुहेचि पहज पयह पहु। णं कहों वि विरुवर कूर-गहु ॥५॥ थिउ पुरुविमा मणोहरएँ। णं सिद्धसिवालए सुन्दर ॥६॥ करें जिम्मलु वन्दहासु धरित। णं घण-णिसणु तरि-विपरित ॥७॥ णीसरिए पुर-परमेसरेण णीसरिय वीर णिमिसम्तरेण ॥४॥
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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