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परमचरित
पट्टकहि महन्ला मुवि स्त्र । संपामु मुवि मारिष-मम ।
कण्ण करम् पाणिरगहणु' ॥७॥ पेमिष दडपत्ते तुरिभ गय 16th
घन्ता
तेहि विवाह किट खर र घिउ अणुराह विज-साहिए । धणे णिवसन्तियहें वय-वन्तिय सुउ उपाणु विराहिउ ॥९॥
एस्यन्तरे जम-जूरावण । तं सल्लु धरेषिपणु रावणेण ॥१॥ पटुविउ महामह दूत तहि । सुग्गीव-सहोयर बालि जहि ॥२॥ वोहलाविङ थाएं वि अहिमुहण । 'हाउँ एम विसजिउ दहमुहँण ॥३॥ एक्कूणवीस-रज्जन्तरई । मिसइयएं गयइँ गिरन्सरई ॥४॥ को वि किसिधवलु णामेण सिह । सिस्किपट-कम्जे घिउ देयि सिरु |॥५॥ णवमउ परिणाविड श्रमरपतु । जे धहि लिहाबिउ कह-णिव हु॥६॥ दहमउ कइ-केयणु सिरि-महिउ। एगारहमउ पहिवलु कहिउ ॥७॥ बारहमउ गयणाणन्दयह। तेरहमउ सयराणन्तु वरु ॥८॥ चडदहमउ गिरि-किचेरवलु (?)। पषणारहमत गन्दणु मजउ ॥९॥ सोलहमउ पुणु को वि उवहिरड । तहिकंप-विगमे फिर तेण तङ ॥१०॥ ससारहमउ किकिन्धु पुणु । तहा कवशु सुकं ग किउ गुणु॥११॥ अट्ठारहमउ पुण सूरत । जमु मझवि तहों पदसारू कड॥३२॥ तुहुँ एनहि एक्कुणवीसमउ । अणुहु र मणे मुवि मउ॥१६॥
घत्ता
आउ णिहाले मुह संपामहि तहुँ गम्पि दसाणण-राणउ । मेण देह पवस चउरा-बलु इन्दहाँ उरि पयाणउ' ॥१४॥