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पउमचरिड
कुम्मा के चिन्ता । एक वह दुक्ख पाचन्ता ॥७॥ सयल बि मम्मीसेवि मेलाषिय | जमउरिà-zewana agıfaa 10
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कंचित किया सड़ों किल रेहि' विसिति श्रणु
अच्छ एउ देव पार | तं शिसुत्रिं कुषि जमराण । कासु किम्-सिणि रुद्रित । जे पर-दि-विन्दु खोडाविज | सस वि गरब जेण विलिय । सह दरिमाषमि अजु जमत्तणु' महिसास दण्डनाय-पहर शु | केति भीसण वणिज ।
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घत्ता
'बइतरणि भग्ग णासिय णरय । छोडाविय णरवर वन्दि-सय ।।11
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जसु जम वासणु जम-करणु एक्कु जि तिहुण पळय करू
म्पस-नाइद-विन्दु णं धक्कउ' ॥१॥ 'केण जियन्तु चतु अप्पाणक || २ || कासु कालु आसण्णु परिडिङ ॥ ३ ॥ तत्रणु अण्जुनो ॥ जें वइनरणि वहति विणामिय ॥५॥ एस भगेत्रिणीसरिउल साह ॥६॥ कण- देहु गुसाहरु-लोणु ॥ ॥ मिच्छु वुत्तु पुणु कहाँ उमङ्ग ॥14॥
घत्ता
जम उरि जम दण्ड समोर । पुणु पन त्रि रणमुहें को घर ॥ ५ ॥
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जंगम-करण दिट्ठ भय-भोसणु । पर दसाणणेण ओसारिउ । 'भरें माणच वलु बलु विष्णासहि इन्दही पात्र तुम्छ कि हगहों । सच्चहूँ कुछ कियतु हाँ आइड ।
भाइ तं महन्तु विहीसणु ॥१॥ अप्पुणु पुणु कियन्तु हारि ॥२॥ । मुहियएँ जं जमु णासु पयासहि ॥३३॥ ससिंहें पदों भणयहाँ वरुणहो ॥ ४ ॥ यहि धाहि कहिँ जाहि भनाइ ॥ ५ ॥