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हरिस- रण करवियर तहिं रावण हावऍण
पवमचरित
घता
चन्दहासु कर करें षि महि कपिणु जयरहरु
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तिजगविणु लामु गासिउ | मित सहसा करि-कह-अणुराहट । पहर-विहरु रुहिरोह्लिय-मत्तड । 'देव-देव किम्पिों व हिं ।
मिठ तर्हि सिमिरु जेरथु आवासिय ॥१ सहिँ अवसरें भनु पशु पराइ ॥२॥ णरवद्द तेण वेषि विष्णत्तय ॥३॥ सच-फलिह-सूल-हक कण हिं ॥४॥ सिरस सुसविणाराहि । वह कोन्त-गय- मोग्गर- भाएँ [हिं ॥५॥ घरेंविण सहित विहि एक वि ॥६॥ कवि कह विउ मेलिड पार्णे हि ॥ ७ ॥ हय संगाम मेरि सादर ॥८॥
जमुआरोडिज भग्गा सेण वि । पचेल्स जिल्लरिय वाणेंहि । किसुणेवि कुछ रक्
कीव-दगि पलित्तु पधाइड । पेक्ष सत्त नरम अ-रउरव । पेक्खइ मद्द वतरणि वहन्ती । ऐक्खड़ गय-पय- पेलिजन्तई । पेक्ष र मिहुइँ कन्दन्तहूँ । पेक्ख अण्ण-जीव विजतहूँ ।
वीर रसु
सो गाहिं जो
जेण मणें मावियठ । णाविय ॥ ९॥
प्रत्ता
स विमाणु आयासह
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वलु संवलियउ । उत्थलियउ ॥ ९ ॥
णिविर्से से जम-णय परा ॥१॥ उट्टिय बारवार हाहार ॥२॥ रस-वस-सोणिय सलिल वती ॥३॥ सुहृद-सिरहँ टसत्ति मिजन्त हूँ ॥४॥ सम्वलि-रुख वराविखन्त ॥५॥
- पन्ति ॥५॥