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छट्टएँ पहिमि हम श्रावगी। अण्णु वि मयणाबलि करें फग्गी सत्तमैं गमि जणि जोक्कारिय। अट्ठम दिवसें पुज णीसारिय ॥८॥
पत्ता एमई तेण वि णिम्मिय ससि-प-खीर-कुन्दुजलाई। माहरणई व वसुन्धारहँ सिव-सासर-सुहहँ ष अविचरई॥९
[१] गड सुणन्तु हरिसेण-कहाणउ । सम्मेय-इरिहि सुक्कु पषाणड ॥१॥ ताम णिणाउ समुट्टिउ मीसणु। जाहाण-साहण-संतामणु ॥२॥ पंसिय हस्थ-पहस्य पधाय । वण-करि णिवि पडीवा भाइय ।। 'देव देव कि जेण महारड़ । अस्लई मत्त-इस्थि अइरावउ ॥१॥ गजणाएँ अणुहरह समुरहों। सीयरंण जलहरही राहों ॥५॥ कदमेण णव-पाउस-कालहीं।। णिज्मरेण महिहरहों विसालहों ॥६॥ सक्खुम्मूकणेण दुम्बायहाँ। सुड-घिणासणेण जमरायहीं ॥७॥ दसणेण श्रासोविस-सपहों। विविह-मयावस्थए कन्दष्पहाँ ॥८
पत्ता
इन्दु वि चॉवे ण सकियउ खन्धासणे एयहाँ वारणहों। गउ चउपासिउ परिमवि जिम अत्य-होणु कामिणि-जणही ॥५॥
अण्णुप्पण्णु दसण्णय-कागा। उमप-चारि सम्वनिय-सुन्दरु। सत्त समुत्तुगत णव दीहरु । णिव-इन्तु महु-
पिल-खोयणु।
[] माहव-मास देखें साहारण ॥३॥ मर-हन्थि णामेण मोम ||२॥ दइ परिणाहु निणि का विस्था ।३३। भयसि-कुसुम-णिहु रत-कराणणु॥४॥