________________
पउमचरित नदी पार कर वंशस्थल में प्रवेश करते हैं । 'मानस' और 'आदिरामायण' में चित्रकूटसे लेकर दण्डकवन तक के मार्ग का उल्लेख नहीं है। चरिउमें अयोध्यासे निकलकर राम सीधे गम्भीर नदी पार करते हैं, स्वयम्भूका गंगा जैसी नदी पार करनेका उल्लेख न करना सचमुच विचारणीय है। लेकिन लक्ष्मण को शक्ति लगनेपर हनुमान् जब उत्तर भारतकी उड़ान मारते हैं, तो उसमें ममुद्र-मलयपर्वत -- कावंगे, तुंगभद्रा, गोदावरी, महानदी, विन्ध्याचल, नर्मदा, उज्जैन, पारियात्र, मालव जनपद, यमुना, गंगा और अयोध्याका उल्लेख है। इसमें गम्भीरका उल्लेख नहीं है। दोनों परम्पराओंके भौगोलिक मार्गों की खासे उस सामान्य मार्गका पता लगाया जा सकता है जिससे रामने वस्तुतः यात्रा की थी। क्योंकि पौराणिक अतिरंजनाएं भौगोलिक मार्गकी वास्तविकताको नहीं झुठला सकती।
अबान्तर प्रसंग
आदिकवि और स्वयम्भूको रामकथाकी तुलनासे दूसरा तथ्य यह उभरकर आता है कि मूलकथा में दोनों में अवान्तर प्रसंग जुड़त गये है। 'चरित' में ऐसे अवान्तर प्रसंग हैं : विभिन्न वंशोंकी उत्पत्ति, भरत बाहुबलि-आध्यान, भामण्डल आख्यान, मद्रभूति और बालिखिल्य, यश्र कर्ण और सिंहादर, राजा अनन्सयोर्य, पवनंजय आरपान, महणावका कपिल मुनि, यक्षनगरी, कुलभूषण और देश-भूपण मुनियोंका आख्यान । मानसमें ऐसे
आख्यान हैं—शिवपार्वतो आत्यान, कंकयदेाके प्रतापभानु की पूर्वजन्मकी कथा, नियादराज गुह, केवट, भरद्वाज, वाल्मीकि, अगस्त्य और सुतीक्ष्ण ऋषियोंसे भेंट। अहल्याका उद्धार, जयन्त प्रसंग और शबरी आख्यान ।
उक्त अवान्तर प्रसंगोंका उद्देश्य मुख्य कथाको अग्रसर या गतिशील बनाना उतना नहीं है कि जितना अपने मतको प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति देना। जहाँ तक दोनों काव्यों समान रूपसे उपलब्ध चरित्रों का प्रश्न है उनके चरित्रकी मूलभूत विशेषताएं कि सीमा तक सुरक्षित हैं, शेष परिवर्तन अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुमार है, विस्तार भयसे यहाँ उनका उल्लेख