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________________ ११२ पउमचरिख पत्ता परिभमइ दिहि तहों सहि जे बहि अण्ण हि कहि मिण थार । रस-सम्पर महुयर-पम्ति जिम केयह मु वि ण सक्का ॥२॥ गध कुमारह सितु । । मीमो युग ||१|| 'वेयनों दाहिण-सेवि-पवरु। णामेण देवसंगीय-णयह ॥२॥ तहिं अम्हई मय-मारिच भाय। रावण विवाह-काजेण आय ॥३॥ लइ तुझु जें जोगाउ पारि-रयणु । उछु टु देव करें पाणि-गहणु ॥४॥ एउ जें मुहुत्तु णक्रवत्तु वाह। जंजिणु पञ्चक्षु तिकोय-सार ॥५॥ कल्लोण-लच्छिमाछ-णिवासु। सिव-सन्ति-मणोरह-सुह-पयासु'॥६॥ सं णिसुणे वि तुट्ठ दहमुहण । किंठ तक्रपणे पाणिग्गहशु तेण ॥७॥ जय-दूरहि श्वसहिमालेहि। कयण-तोरणे हि समुअलेहि ॥८॥ पत्ता सं वहु-मरु णयणाणन्दयरु णं उत्तम-रायस-मिटुणु विस सयंपहु पदणु । पफुल्लि य-पय-वायण ॥५॥ अवरेक-दिवस दिव-बाहु-दण्ड । विजड जोपन्तु महा-क्याम् ॥1॥ गउ सेरथु जेत्थु माणुस-वमालु। जलहरथम गामें गिरि विसालु ॥२॥ गम्धन-धावि जहि जगे पयास । गन्धब कुमारिहिं छह महास ॥३॥ दिव दिन जल कोल करस्तु जेत्थु । रयणासय-णन्द छपकु तेस्थु ॥४॥ सहसत्ति दिख परमेसरी हिं। णं मायरु-स यक-महा-सरी ॥५॥ गंणव-मयलन्छणु कुमुदाहिं। णं वाल-दिवायर कमलिणाहिं ॥१॥ सम्बउ रक्खण-परिवारिया । सम्बउ सम्बालकारियाउ ||७||
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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