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पसमचरिड
पत्ता भागाहें घर-
विम हि आइयहिं रावणु गुण-गण-अणुराइयहि । चउनिसि परिचारिउ सहइ किह मगरून्छा छर्ण ताराहुँ जिह ॥९॥
सन्चोसह थम्मणी मोहणिय। संविद्धि णहङ्गण-गामिणिय ॥१॥ प्रायड पञ्च वि वयगय तहि । थिउ कुम्मग्राणु चल-झाणु जहि ॥२॥ सिन्वस्थ सत्त-विणिचारिणिय । णिविग्घ गयण-संचारिणिय ||३|| भायउ चयारि पुणु चल-मणहाँ। श्रामण्णउ थियउ विहीसणाहीं ॥४॥ पुस्थन्तरे पुग्ण-मनोरहेण । बहु-विजातिय विग्गहण ॥५|| णामेण संयंपहु णयह किड। णं सग्ग-खण्ड अभयरें चि थिउ ॥२॥ अण्णु वि उप्पारन होगा। मागाहामा प्रसारित उम्सुङ्गु सिङ्ग डण्णइ करेंथि। णं वन्छह सूर-विम्वु धरें वि ॥८॥
धत्ता तं रिद्धि पुणेचि दसाणणही परिमोसु पबहिड परियणहों। आयई कह-भाउहाण-बलई पं मिल घि परोपक जल-थलाई ॥९॥
[१४] नं दिट्ट सेग्ण सयणहूँ तणिय। परिपुरिछय पुणु अत्रलोयणिय ॥१॥ ताएँ वि संघीहिउ दहश्यणु। राहु देय तुहारज वन्धु-जणु' ॥२॥ सं णिसुणे वि पारवह णीसरिउ । गिय-विज-सहा परिथरिज ॥३॥ पं कमालणि-माई पचरु सस । णं ससि सहासे दियसयरु |३| स-विहीला कुम्भयाणु चलिर । णं दिवस-तेज सूरहों मिलिड ॥५६॥ तिणि मि कुमार संबल्ल किर । उच्छक्षिय साम फरमाव-गिर ॥६॥ रयणासवु पसु ल-वन्युजणु । ने पट्टणु ते रावण-मयणु ।। तं सह-माज मणि-वेयहिट 1 तं विज-सहासु समावति ॥८॥