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पउमचरिउ
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विजड बुद्ध अमराहिब - साहणें ॥१॥ गलिया कण्ठ- द्विय-जीयउ ॥ २ ॥ 'पच्छ सग्गू देव पश्चिवक्लों ॥ ३ ॥ - केस - किष्किन्धेहिं ॥४॥
सिंह करें जैम ण जन्ति मडारा ||५||
संणिसुर्णेवि गड घोड्ड जायें हिं । ससहरु पुरुष परिद्विउतायें हिं ॥ ६ ॥ 'महु आदेसु देहि परमेसर । मारमिह जि मिसायर वाजर ॥ ७ ॥ सेणु वित्तभि जम-मुह-कन्दरें | दसण- सिछायल - जीहा ककरें" ॥८॥
विणिवाइड र रङ्गणे ।
कद्रय-वल भय-भीगड ।
केण वि ताम कहि सहसा बहुवारत णिसियर - कचिन्हं । ए जि विजयसोह खय-गारा
इन्दे हरि
पर पाएँ हों
धत्ता
भाइ ससि सर परिसन्तु किए । धाराहरु वासारतु जिह ॥ १९ ॥
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'मरु मरु हाँ वहीं किं णास हो । धाराहर-मकवदों दयासदौं ॥१॥ कुछ पाथ सं (?) वासच - केरा' ॥२॥
सुरयण-णयणानन्द-जणेरा । सं मिसुर्णेवि दुरशिय-सङ्कङ । गहकहोलु णाई ण-चन्दद्दाँ । ' ससस कलङ्क अप्रिय | चन्दु मणेवि जैं हासउ दिजह एम चवेष्पिणु चाय-गाहट । सुच्छ पराइच पसरिय- बेयशु ।
हिमवन्तु पर भ ॥ ३ ॥ पाइँ मइन्दु महग्गय-विन्दहों ॥ ४ ॥ महिलाणण वे पक्ख-विवज्जिय ॥५॥ प धि की विकिं श्र्णे घाई' ॥ ६ ॥ भिण्डिवाक-पहरणेण समाह ॥ ७ ॥ दुक्खु दुक्खु किर दोइ सय ॥४॥