SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पउमचरित धत्ता सयल वि चाम-सरीर सयक वि उज्बुम-पिता। जं परिणगहें पय सिबि-बहुम बरहसा ।।९॥ [११] तो एस्थन्तरें पहु माणन्दिउ । सो रिसि सप सरन्त बन्दिर ३॥ पणिड विण्णवेवि सुयसायर। मो मो मध्वम्भोय-दिवायर ।।२।। भव-संसार-महण्णव-णासिय। करें पसाउ पम्वजहें सामिय' ॥१॥ जम्पइ साष्टु 'साहु लस। पई पिउबर !! जे जागहि सं करहि तुरन्तउ'। णिविसहेज सो वि णिवला ॥५॥ भट्ट दिषस संज्ञहण मावि। अट्ठ दिवस दाणई देषावि ॥६॥ भट्ट दिवस पुझाउ णीसार वि। भट्ट दिवस परिमळ महिसारे धि ५॥ अट्ठ दिवस भाराहण पाएँ वि। गड मोक्खहाँ परमप्पउ मावि ॥८॥ घसा तहाँ महरक्खहाँ पुतु देवरक्खु धरूयन्तउ । थिउ श्रमराहिउ जेम ल स इंभुशवा ॥९॥ ६. छट्ठो संधि घउसद्विहि सिंहासणे हि अहकहि भागन्तएँ भिसिए । पुणु उप्पण्णु कित्तिपवलु धवलिउ जेण भुअणु णिउ-कित्तिए ।।१।। यथा प्रथमस्तोपदवाहनः । तोयदयाहनस्यापस्य महरक्षः । महरक्षस्यापमं घेवरक्षः । देवरक्षस्थापत्य रक्षः । रक्षस्थापत्यमादित्यः। श्रादित्य
SR No.090353
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages371
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy