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पडमचरित
पत्ता इम्म-घ-सेणाषद इय-य-गहवाइ छप्स-दण्ड-प्रेमित्तिय । कागःण-मणि-स्थवह थिय खगा-पुरोहिय ते वि घरहद चिम्तिय ||
[-] गड़ माह पयाणड देवि नाम ! हेरिऍहिं कणिहाँ कहिट हाम ॥१॥ 'सहसा पीसह सण्णहें वि देव। दीसह परिवक्नु समुचु जेम' ॥२॥ . तं सुणे वि सरोसु पलम्ब-बाहु। सपासह पोयण-गया-राहु ।।३।। पडु पबह समाहृय दिण्ण सल। धर्म दम इत्त उम्भिय असम ॥४॥ किउ कलयलु कइयह पहरणा। कर-पहर-पयडूइँ वाहणाइ ।।५।। णीसरिउ सत्र सङ्कोहणीउ । एकर सेण्णएं अक्खोहणी ॥६॥ भरहेसर-बाहुबली वि ते वि। भासण्णइँ कुछ िवलद् धे त्रि |
। सवईमुह धय धय पहलै दवि ॥८॥ हर हयहुँ महानाय गयवराहुँ । मह भरहुँ महा-रह रहवराहुँ ।।९।।
घत्ता देवासुर-बल सरिसर वद्धिय-हरिसर कम्न्चुय-कवय-विसष्टई । एकमेक कोकसर रणे हन्त, उभय-व-प्रमिहई ॥१०॥
८] अभिष्टुइँ पढिय-कलयलाई। भरदेसर-पाहुबली-वलाई ।।। वाहिय-ह-बोइय-धारणाई 1 अणवायामेल्लिय-पहरणाई ।।२।। लुभ-जुषण-जोत-खण्डिय-धुराहँ। दारिय-णियम्ब-कप्पिय-उराह् ॥३॥ विष्टिय-भुभ-पाडिय-सिराई। धुय-खन्ध-कवग्ध-पणविराई ।। गण-दम्त-छोह-भिपणुष्माई। उपाइय-पडिपेल्लिय-भाइ ।।५|| पडिहय-विपित्राइम-गयघढाई। मच्छोदिय-मोहिय-धयवरा ॥॥