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________________ चर्चा रही। अन्ततः यह निर्णय हुआ कि सिंगिराज और गोजिगा इन दोनों की इस षड्यन्त्र में प्रमुख भूमिका रही है। रानी लक्ष्मीदेवी की दासी मुद्दला गायब हो गयी थी, इसलिए उसे न्यायपीठ के समक्ष उपस्थित नहीं किया जा सका। इस वजह से सिंगिराज ने जो वक्तव्य दिया था उसका कोई प्रमाण नहीं मिल पाया। उसका वक्तव्य देहरी-दीप की तरह रहा। यह बात तभी प्रमाणित होती जब मुद्दला द्वारा यह जानकारी मिलत। कि पट्टमहादेवीजी की हत्या की प्रेरणा रानी लक्ष्मीदेवी और तिरुवरंगदास की ओर से थी। कभी किसी सन्दर्भ में तिरुनाम्ब और शठगोप ने भी यह घोषणा की थी कि वे श्रीवैष्णव की प्रगति के लिए कटिबद्ध हैं और श्रीवैष्णवों के विरोधियों का प्राण-पण से सामना करेंगे। अत: टनको भी इस षड्यन्त्र से सीधे सम्बन्धित मानकर बुलवा लिया गया था। जब उनसे पूछा गया कि इस तरह की घोषणा के पीछे उन लोगों का क्या आशय था तो उन्होंने न्यायपीठ के सामने यही कहा कि श्रीवैष्णव धर्म के प्रचार से जिनधर्म को आघात पहुँचा है इसलिए क्यों न श्रीवैष्णव धर्म का नामो-निशान मिटा दिया जाए! इस तरह की घोषणा जिनधर्मियों ने पनसोगे में की थी। इसे सुनकर इन लोगों का आक्रोश बढ़ गया था। ____ अन्त में न्यायपीठ ने पूछा, "रानी लक्ष्मीदेवीजी से हम तहकीकात कर सकते हैं ? इसमें कोई आपत्ति तो नहीं? सन्निधान इस बारे में आदेश देने का अनुग्रह करें।" "ऐसे खोटे विचार पोय्सल रानी के दिमाग में आएँ, इसकी सम्भावना नहीं। षड्यन्त्रकारियों की बातों से, उनके सामने न्यायपीठ को झुकने की जरूरत नहीं। मुद्दला को बुलवाइए, नहीं तो अपना निर्णय सुना दीजिए।'' शान्तलदेवी ने कहा। चाविमय्या आगे आया और झुककर प्रणाम किया। गंगराज ने पूछा, "कुछ कहना है?" "हाँ।" उसने कहा। "पहले शपथ लो और फिर जो कहना चाहते हो कहो।" चाविमय्या ने शपथ ली और निवेदन किया, "मुद्दला अब जीवित नहीं है, उसकी हत्या कर दी गयी है।" "किसने हत्या की? कहाँ और कब?" गंगराज ने पूछा। "एक पखवाड़ा गुजर गया। मुझे लगता है कि सिंगिराज से इस न्याय विचार के मौके पर जब तहकीकात की गयी थी तब मुद्दला की जो बात उठी, वहीं इस हत्या का कारण है।" 'हत्यारे का पता लगा?" "गुप्तचर इसका पता लगाने की कोशिश में लगे हैं।' "पहले ही यह बात क्यों नहीं बतायी गयी?" 398 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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