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________________ अब बंकापुर पर पोय्सल-पताका फहराने लगी। भण्डार को कब्जे में कर लिया गया। मगर सारा खाली पड़ा था। तब पत्ता लगा कि लोग सचमुच ही आधा पेट खाते रहे। सैनिकों को बन्दी बना लिया। पौर-प्रतिनिधियों की एक सभा बुलाने की व्यवस्था की गयी। महाराज बिट्टिदेव ने जनता को आश्वासन देते हुए कहा, "हमारी या हमारे सैनिकों की तरफ से यहाँ के किसी भी नागरिक को कोई तकलीफ नहीं होगी। आज की इस विजय से यह प्रान्त हमारा बन चुका है। इस प्रान्त की प्रजा भी अब हमारी ही प्रजा है 1 आप लोगों की समस्याएँ क्या हैं सो हमें स्पष्ट बताएँ, उन्हें हम दूर करेंगे। यदि आहार सामग्री की कमी हो तो वह भी बताएँ, हमारे पास काफी आहार सामग्री हम आपनों का की लागेक्षा गमले हैं, वह है निष्टा। पोयसल विरोधी कार्रवाइयों में यदि कोई लगा और इसका पता चल गया तो उसे कठिन दण्ड दिया जाएगा। महीनों तक मुहासरा लगाये बैठे रहे, अन्दर आहार-सामग्री पहुँचाने पर रोक लगा दी गयी, तब कहीं इतनी जल्दी यह विजय प्राप्त हो सकी। फिर भी इतनी जानें गयीं, यह बात जब मन में आती है तो हमारा दिल भर आता है । युद्ध में जयकेशी के मृत सैनिकों के परिवार के लोग यहाँ हों, और वे अन्यत्र कहीं जाना चाहें तो हम उन्हें सुरक्षित वहां पहुंचा देंगे। यदि यहीं रहना चाहें तो उनकी रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। इस प्रान्त में फिर युद्ध न हो, इसी उद्देश्य से हम यहाँ कुछ दिन रहना चाहेंगे। इसलिए आप लोगों को डरने की कोई बात नहीं है। आप लोग अपने-अपने दैनिक कार्यों पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि में निश्चिन्त होकर लगें। आप लोगों के कार्यों में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी। षड्यन्त्रकारी इस नगर में कहीं छिपे हो सकते हैं। इस सन्देह के कारण हमारे सिपाही हर रास्ते पर पहरा देते रहेंगे। उन्हें देखकर किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं।" महाराज की बात समाप्त होते ही डाकरस ने, "पोयसल महाराज की जय हो" का नारा लगाया। पदाधिकारियों ने भी दुहराया। सभी के साथ परिजनों ने भी एककण्ठ से "पोयसल महाराज की जय हो" के नारे लगाये। राजधानी दोरसमुद्र में न्याय-विचार हो गया, इसकी खबर सन्निधान को भेजनी है? यदि भेजनी हो तो क्या-क्या उन्हें बताना है, इसके लिए दो दिन के भीतर ही राजमहल के मन्त्रणागार में शान्तलदेवी ने एक मन्त्रणा-सभा का आयोजन किया। इसमें प्रधान गंगराज, नागिदेवण्णा, मादिराज और विनयादित्य की उपस्थिति रही। 368 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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