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________________ गुरुजी के द्वारा निर्णीत मुहूर्त के अनुसार, ठीक वक्त पर बिट्टिदेव ने युद्ध के लिए प्रस्थान कर दिया। उनके साथ बीच की दोनों रानियाँ थीं । बड़ी और छोटी रानियों ने उन्हें तिलक लगाकर, आरती उतारकर, विदा किया। कुमार बल्लाल में उत्साह छलक रहा था। बिट्टियण्णा वहीं था, इससे उसका उत्साह दुगुना हो गया था। एक योद्धा ही समझ सकता है उस उत्साह को । सो भी यह प्रथम युद्ध यात्रा! फिर तो पूछना ही क्या ! परन्तु उसे यह मालूम नहीं था कि युद्ध. भूमि तक उसे नहीं ले जाएंगे। छोटे बिट्टि को इच्छा थी कि पिता के साथ जाए। सीधे पिताजी से पूछ ले, इतना साहस नहीं था। इसलिए माँ के पास गया और अपनी इच्छा बतायी। "बेटा, सारी बातों पर विचार करके निर्णय लिया गया है। अब युद्ध में जाने से भी अधिक राजकाज के संचालन की रीति-नीतियों को जानना आवश्यक है। इसलिए तुम्हारा चोकिमय्या के साथ कोवलालपुर जाना ठीक होगा।" माँ ने कहा। "तो भैया का आना?" छोटा बिट्टिदेव बोला। "क्यों बिट्टि ! तुम्हें ईर्ष्या हो रही है?" "नहीं। उसको ही कोवलालपुर भेजकर मुझे साथ क्यों न ले जाया जाए?" "तुम बड़े या वह?" "वह 1 "तो वही न आगे चलकर पोय्सल राजा होगा।" "हाँ" "इसलिए जितना बन पड़े, उसे सन्निधान के साथ रहना चाहिए। तुम्हें भी उसका दायाँ हाथ बनकर राज्य-संचालन के काम में योग देने में समर्थ बनना होगा। इसीलिए सन्निधान तुम्हें चौकिमय्या के साथ रखकर दक्षिण और दक्षिणपूर्व के प्रदेशों के राजकाज संभालने के लिए भेजना चाहते हैं। इसलिए कुछ न कहना। चुपचाप सन्निधान की आज्ञा के अनुसार चलना।" शान्तलदेवी ने समझाया। छोटे बिट्टिदेव ने माँ के आदेश के अनुसार महाराज के समक्ष यह बात नहीं छेड़ी। महाराज के प्रस्थान के बाद वह कोवलालपुर की ओर चल पड़ा। रवाना होने से पहले महाराज बिट्टिदेव ने रानी लक्ष्मीदेवी के साथ एक रात बितायी। यह शान्तलदेवी की इच्छा थी। पता नहीं, क्षोभ कम हुआ या नहीं, उस समय बिट्टिदेव ने कहा, "तुम्हारे पिता को हमने धर्मदर्शी का काम देने का निश्चय किया "देश-निकाला देने की बात..." "वैसा नहीं कहते तो तुम यहाँ आती? तब वह बात कहना जरूरी था।" "महाराज से विवाह हुए वर्षों बीत गये, फिर भी मुझे इस राजमहल की रीति पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार :: 273
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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