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________________ हम करेंगे | मुहूर्त निश्चित करके हमें समाचार भेज देने के लिए केतमल्लजी से कही।" यह कह वह उठ गये । रानियाँ भी उठ गर्यो । "हमें कुछ जरूरी काम है। अन्यथा न समझें।" पट्टमहादेवी से कहकर बिट्टिदेव वहाँ से चले गये । पट्टमहादेवी को भी उनका व्यवहार कुछ अजीब-सा ही लगा । लक्ष्मीदेवी को ऐसा लगा कि किसी ने जोर से थप्पड़ मार दिया हो। चेहरा फक पड़ गया । शान्तलदेवी ने देखा और कहा, "इन सब बातों को लेकर हमें चिन्तित नहीं होना चाहिए। वे केवल वैष्णवों के ही राजा नहीं हैं। सभी धर्मावलम्बियों के राजा हैं। सबको उनकी आवश्यकता है और उन्हें सब चाहते हैं। अभी व्यवस्था करने के लिए बहुत से काम है। चलो, चलेंगे।" कहकर लक्ष्मीदेवी को साथ लेकर अन्त: पुर में चली गयीं। बिट्टिदेव वहाँ से अन्यत्र कहीं न जाकर सोधे वहाँ पहुँचे जहाँ श्री आचार्यजी के ठहरने की व्यवस्था की गयी थी। तिरुवरंगदास और शंकर दण्डनाथ भी वहाँ थे। उन लोगों ने महाराज के आने की कल्पना नहीं की थी। महाराज को देखते ही उनको भावभंगिमा बदल गयी। कुछ घबराकर कुछ संकोच से दोनों उठ खड़े हुए। बिट्टिदेव ने भी उस वक्त इन लोगों के वहाँ होने की आशा नहीं की थी। आचार्यजी ने अपने पास के एक आसन को सरकाकर कहा, "महाराज बैठने की कृपा करें। ऐन वक्त पर पधारे, अच्छा हुआ। तुम लोग भी बैठो।" शंकर दण्डनाथ और तिरुवरंगदास से भी कहा । महाराज बिट्टिदेव आसन पर बैठ गये। वे दोनों खड़े ही रहे। 14 'क्यों बैठो।" आचार्यजी ने कहा । "शायद सन्निधान आचार्यजी से एकान्त में बातचीत करना चाहते होंगे। आज्ञा हो तो फिर दर्शन करेंगे।" तिरुवरंगदास ने कहा । "ठीक है।" बिट्टिदेव ने जाने को कह दिया। वे दोनों प्रणाम करके चले गये। "कोई जरूरी काम था ?" आचार्यजी ने बिट्टिदेव से पूछा । 'दोरसमुद्र के एक धनी व्यक्ति ने यहाँ एक युगल शिवालय के निर्माण कराने की अनुमति माँगी थी। स्वीकृति दे दी गयी। उस मन्दिर के निर्माण की रीति-नीति से सम्बन्धित सभी रेखाचित्रों को पट्टमहादेवी ने देखकर, स्वीकृति दे दी है।" "उसके स्थपति भी जकणाचार्य ही हैं न?" "नहीं।" 14 "क्यों, वे फिर खिसक गये ?" "नहीं, बेलापुरी में हैं। आचार्यजी के सन्दर्शन के लिए पत्नी-पुत्र के साथ 112 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग चार
SR No.090352
Book TitlePattmahadevi Shatala Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorC K Nagraj Rao
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size9 MB
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